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रत्नसागर
सुद पक्ष । एकांतर । उपवास ८ । पारणें बिल ८ । एवंदिन (१६) जमणे ग्यानपूजा करें। इति सर्वांग सुन्दरतपः ॥ १२ ॥ ॥ ॐ ॥ चैत्रमाशे । एकांतर उपवास १५ ॥ एवंदिन (३०) नेको ( अथवा ) रूपैको वृक्ष । अनेक फल सहित चढावै ॥ इति सौभाग्य कल्पवृक्ष तपः ॥ १२ ॥ * ॥
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जमणे सो
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॥ ॐ ॥॥
॥ ॥ परिवा। बीज । तीज। अनुक्रमसें, पूनम पर्यंत (१५) उपवा स । जो तिथि भूलै । सोतिथि और करै । ऊजम एकसो वीश (१२० ) लाडू मंदर चढ़ावै । नात्र करावे ॥ इति सर्व्व सुखसंपत्ति तपः ॥ १२ ॥ * ॥
॥ * ॥ वरशातना च्यार माश (और) पोष । चैत्र । यह षमाश टाल के बोटी पांच तप सरू करे। अंधारी, अजुप्राली पांचम, माश ५ लग । एकाशणादिक तप करे। ऊजमर्णे ज्ञान पूजा करें ॥ इति बोटी पांचम तपः १५
॥ ॥ सुद पांचमकों, पांच वरश, पांचमाश, उपवास करें। उपवासकै दिन देव वांदनादिक क्रिया करे । ऊजमणें पुस्तकादिक ज्ञानोपगरण । पकवान फल, कलशादिक, पांच ५ चढावै ॥ सत्तर नेदी पूजा करावे । साहमी बहल करै । इति ज्ञानपंचमी तपः ॥ १६ ॥ ॥
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॥ ॥ आषाढ सुदि । परिवा। बीज । तीज । चौथ। पांचमें । एकाशणा दिक तप करै । शोग वृक्ष पूजा पूर्व्वक, देव आगे नेवेद्य चढावे । ( इसी तरै) वरस १ । तपकरे । जमणे चावलांसें । प्रशोग वृक्ष लिखके पूजा करे ||
॥ * ॥ इति शोग वृक्ष तपः ॥ १७ ॥ * ॥ प्राषाढ वदि (७) श्रीविम नाथ पूजा पूर्व्वक उपवास | श्रावण वदि ( ७ ) श्रीनन्तनाथ पूजा पूर्व्व
वास ॥ काती वदि ( ७ ) श्रीयादिनाथ पूजा पूर्व्वक उपवास ॥ पोष दि ( ७ ) श्रीपार्श्वनाथ पूजा पूर्व्वक उपवास करे। स्नात्र करें । ऊजमर्णे चावला लोकनाल वनाके, साते राज, सात पावडी करिके । तिस ऊपरि सिद्धिक्षेत्र (तिसकों) सोनें रत्नोंको मुकट चढावै ॥ इति मुकट सप्तमीतपः १८
॥ * ॥ आसोज सुदि ८ तांई एका शणादि तप करे । आठ प्रकारकी पूजा करै । नेवेद्य चढावै । पहिले वरश अष्टापदकी एक पावकी । इसी तरै