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श्रावण माश तपस्याधिकारः
३४९ ॥ ॥ नीवी १ । आंबिल १ । नपवास १। (इसी तरै)नी ३ । करै। · तपोदिन ९ । जमणे नव । लाडू चढावै ॥ ॥ इति योगशुधि तपः ॥३॥
॥ ॥ इकसार नपवास ३ । (अथवा ) एकांतर नपवास ३ । जमणे ज्ञान पूजा करे ॥ * ॥ इति नाणतपः॥४॥॥ ॥ ॥ ॥ . ॥ ॥ इकसार नपवास ३ । ( अथवा ) एकांतर उपवास ३ । ऊजमणे स्नात्र पूजा करावै ॥ ॥ इति दर्शन तपः॥५॥ ॥ ॥
॥ ॥ इकसार नपवास ३ (अथवा) एकांतर उपवास (३) ऊजमण । गोतम स्वामीकी पूजा करै ॥ इति चारित्र तप॥६॥॥..
॥ॐ॥ अहम १ । १। नपवास १ । एकाशण १ । एकल गणो १ । दत्ति १ । नीवी १ । आंबिल १ । (यह एक नेली) इसी तरै, ननी आठ करें। तपोदिन (८८) जमणे रूपानो वृद। सोनानो कुहामो करायके । ग्या न खाते देवै ॥ इति आठ कर्म सूमण तपः॥७॥
॥ ॥ * ॥ लाद्रवा वदि चनथसें लेके । पनरै दिन पर्यंत (इकसार) एका शणा ( अथवा ) बिपाशणा करै । घर देहरासर आगे (अथवा ) अद्वै ठिकाणे कलश स्थापन करै । एक मुही चावल सदा कलशमें नरै। संव बरीके दिन कलश ऊपर नालेर रखके । महोत्सव पूर्वक मंदर लाके देव आगे रक्खे । स्नात्र पूजा करै । शान पूजा करै ॥ * ॥ इति अवयनिधि तपः॥८॥ॐ॥ श्रीवासु पूज्य पूजा पूर्वक । रोहणी नक्षत्र दिने। नपवास। (वा) नीवी । आंबिल । सात वरश, सात माश करै (श्रीबासु पुज्य स्वामी सर्वज्ञाय नमः) इस पदको २००० गुणनो करैः । गुरूके पास स्तवन सुणे (सो) स्तवन आगे लिखेंगे॥ जमणे ज्ञानके नपगरणसें। ज्ञान अक्ति गुरुनक्ति करै ॥ इति रोहिणी तपः ॥ * ॥
॥ सुदपदके पांचमके दिन । श्रीनेमि । अंबिका, पूजा पूर्वक । पांच एकाशणादिक तप करै। अंबिका देवीकों बेस चढावै॥ ॥ इति अंबिका तपः॥ ॥
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॥ॐ॥ ॥ ॥ सुद परमें इग्यारसके दिन । सिद्धांत पूजापूर्वक । मोन संयु क्त नपवास करै ॥ इति श्रुत देवता तपः॥