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सिशायमाला. कृष्ण माह्यो वांदवा ॥ हुँ०॥धन जादव कुल चंदरे ॥ हुँ० ॥४॥ढं०॥ गलियारें मुनिवर मिल्या ॥ वा ॥ वांद्या कृष्णनरेसरे ॥ हुँ० ॥ किणही मिथ्यात्वी देखनें ॥ हुँ०॥ एयो नावविसेसरे ॥ ९ ॥ ५ ॥ ढं॥ मुफ घरआवो साधुजी ॥१॥ ल्यो मोदक चै सुघरे ॥ ९० ॥ मुनिवर विहरीने पांगुरया॥हुं॥आया प्रनुजीने पासरे ॥ ९॥ ६ ॥॥ मुफलब धै मोदक मिल्या॥हुँ॥ कहोनें तुमे किर पालरे॥०॥लबधिनही बच ताहरी ॥हुं।। श्रीपति लबधि निधानरे॥ हुँ॥७॥ढं०॥ एलेवा जुगतो नहीं ॥ ९ ॥ चाल्या परउवा काजरे ॥ हुँ॥ईंटनिवा, जाइनें ॥ ९॥ चूरै करम समाजरे ॥ ९ ॥ ८ ॥ ढं॥ आणी चढती नावना ॥ १०॥पाम्यो केवल नाणरे ॥ हुं ॥ ढंढणरिषि मुगतें गया॥१॥ कहै जिन हरष सुजाणरे ॥ हुँ० ॥९॥ ढं॥इति ढंढण मुनी सिशाय संपूर्णम् ॥
॥॥अथ धन्नारिषि सिशाय॥॥
॥श्रीजिन वांणी रे धन्ना । अमीय समाणी मोरा नंदन । मन मतो मानीरे नंदन तारें ॥१॥ तुं अतिही बैरागीरे धन्ना । धरमनो रागी मोरा नंदन । माहरो तो मनमोरे किम परचावसुं॥ २ ॥ दस दिसि दीसै रे धन्ना। तो विनसूनी ( मो०)। अनुमति देतारे जीन. बहै नही ॥३॥ वत्तीसे नारीहो धन्ना । अतिही पियारी । (मो )। बाणी तो वोलैरे मधुर सुहामणी ॥४॥वालकतो कामणीरे धन्ना । वय पिण तरुणी । (मो०)।गज गति चालैरे चाल सुहा वणी ॥ ५ ॥ ए घरमंदिर धन्ना । ए सुख सज्या।( मो०) कोमिबत्तीसे धननो तूं धणी ॥६॥ए धन मांणोरे धन्ना । वय पिण जाणो । ( मो०) नोगवि लेज्योरे नोग सुहा मणो॥७॥बत अति दोहिलोरे धन्ना। नहीय सुहेलो (मो०) सुगम नही जैरे साधु कहावणो॥८॥घर घर निदा हो धन्ना । गुरुतणी सिख्या। (मो) कहनी तो रहणीरे नही छै सारषी ॥ ९ ॥ इक बारें सुणीयै हो धन्ना । आगम नणीयै । (मो०)। जिनवर जाणोहो मुक्कर जोग ॥१०॥ बनवासै रहणा हो धन्ना । परीसह सहनो। (मो)। . कोमल केसांरे लोच करावणो ॥११॥ साचो तें नाष्यो हो अम्मा।