________________
• २५४
रत्नसागर.
| देह धनुषसो साठा तीन ॥ २ ॥ पंचम सुमति नाथ भगवान । धनुष तीनसो देहीमान । पदम प्र पूरे मन स । देह धनुष दोयसे पंचास ॥ ३ ॥ सामि सुपारस सत्तम होय । देह प्रमाण धनुषसो दोय । चंद्रा प्र जिन मुऊ मन वसै । देह प्रमाण धनुष दोढसै ॥ ४ ॥ सुविध नाथ न मियै सुविवेक । तूंच प्रमाण धनुषसो एक । सीतल नाथ नमें जगसवे । देह प्रमाण धनुष जसुनिवे ॥ ५ ॥ श्रीश्रेयांस नमुं कलसी । ऊंच प्रमाण धनुष तनु असी । वासपूज्य वारम जिन चंद | मान धनुष सित्तर सुख कंद ॥ ६ ॥ विमल विमल गुणकरि गंभीर । साठि धनुष जसुमान सरीर । अनन्त ज्ञान अनन्त प्रकास । देह प्रमाण धनुष पंचास ॥ ७ ॥ पनरम ध रमनाथ जगदीस । मान धनुष जसु पैंतालीस । शांति करण सोलम जिन शांति । देह धनुष चालीस सोनंति ॥ ८ ॥ सतरम कुंथु जिन जगदाधार ।' मान धनुष पेंत्रीस नदार । र हारम दीन दयाल । त्रीस धनुष तनु ति सुविशाल ॥ ९ ॥ मल्लिनाथ जिन नगुणीसमो। मान पचीस धनुष पय नमो । बीसम मुनिसुव्रत अरिहंत । वीस धनुष तनु मान कहंत ॥ १० ॥ इक्वीसम नाम जिन राजान । पनरै धनुष तनु रूप निधान । बावीसम श्रीने मि जिद | दस धनु दीपै जाण दिद ॥ ११ ॥ तेवीसम श्रीपारस नाथ । नील वरण सोहै नव हाथ । चोवीसमा जिनवर श्रीवीर । सात हाथ जगना थ सरीर ॥ १२ ॥ इण परि ए जिणवर चौवीस । प्रणमें प्रहसम धरीय जगी स। तांघर रिद्धि सिद्धि नवरंग । रंगविनें प्रणमें मुनि रंग ॥ १३ ॥ इति श्रीचोवीस जिन देह मान स्तवनं ॥ * ॥
॥ * ॥
॥ ॥
॥ *॥
॥ * ॥ अथ २४ जिन आयुप्रमाण स्तवन लि० ॥ ॥ * ॥ रुषन देव प्रणमुं जिनराय । लाख चोराशी पूरब प्राय | बीजो अजित जसृ सूत्रै साख । प्रान बहुत्तर पूरबलाख ॥ १ ॥ तीर्थकर संजव तीसरो । लाख पूरब साठरो । अभिनंदन पूरै मन आस । आनला ख पूरब पंचास ॥ २ ॥ सुमतिनाथ पंचम जगदीस । आठ लाख पूरब चालीस । श्रीपदम प्रनूनी ए थितिजाण । लाख तीस पूरब परि माण ॥ ३ ॥ श्रीसुपार्श्व लख पूरब वीस | दस लख पूरब चंद प्रभु ईस ।
॥