________________
२४ जिनायुमान (तथा ) ६३ शिलाका स्तवन
२५५
सुविध नाथ लख पूरब दोय । इक लख पूरब शीतल थिति होय ॥ ४ ॥ नवरस चोरासी लाख । श्रीश्रेयांस तणो श्रुत साख । लाख बहुत्तर व रसां तणो । वासु पुज्य परमायुष गिणो ॥ ५ ॥ विमल आन लख सावि वरीस । वरस अनंत तणो लख तीस । लाखवरस दस धरम दिणंद | ला खवरस श्रीशांति जिद ॥ ६ ॥ वरस सहस थिति पंचाणवे । श्रीकुंथु ना थ तणीसंवै । सहस चोरासी र जिनतणी । मवि सहस पंचावन जणी ॥ ७ ॥ वरस संपूरण त्रीस हजार। मुनि सुव्रत परमान नदार । वी स सहस नमिजिन थिति नणी । वरस सहस नेमीसर तणी ॥ ८ ॥ पास वरस एकसो सुख कंद । वरस बहुत्तर वीर जिनंद । रुषन तणा तेरै अवतार । सात चंद्र संतीसर बार ॥ ९ ॥ सुव्रत नव नव नव नेमीस । पार्श्व वीर दश सत्तावीस । त्रिहुं त्रिहुं जव सतरै जगदीस । सगला जव एकसो प्रगतीस ॥ १० ॥ सिद्धि नही सहुनें धन धन्न । गणधर चवदे से बावन्न । सहुनें मुनि लख अठावीस । सहस ऊपर अमतालीस ॥ ११ ॥ लाख चमाल बयांन हजार । षडधिक सहु साधवी सोच्यार । श्रावक ला ख पचावन धुरै । अमतालीस सहस ऊपरै ॥ १२ ॥ एक कोमि श्राविका सुजगीस। लाख पांच सहस प्रगतीस । ए संघ चतुर्विध सहु जिन त । रंगविनें प्रणमें हित घणें ॥ १३ ॥
॥ *॥
॥ *॥
॥ * ॥
इति श्रीचोवीस जिन आयु प्रमाण स्तवनं ॥ ॥ ॥ * ॥ थ ६३ सिलाका पुरुष स्तवन लि० ॥ * ॥
॥ * ॥ ( ढाल १ ) धरम महारथ सारथि सारं । एचाल ॥ ॥ सदगुरु चरणकमल मनधारं । त्रेसठ उत्तम नराधिकारं । पनणसु श्रुत अनुसारं । जेहने नाम लियै निस्तारं । आपण सफलहुवै अवतारं । पामी जै जव पारं ॥ १ ॥ षन अजित संभव अभिनंदन । सुमति पदम प्रजु नयना नंदन सत्तम तेम सुपास । चंद्र प्रजुने सुविध सीतल जिन । श्रेयांस वासपूज्य जिण सुरमणि । विमलगुणें करवास ॥ २ ॥ अनंत धर्म श्रीशांति जिनेसर कुंथुनाथ परमलि सुहंकर । मुनि सुब्रत नमि नेमि । पार्श्व वीरए जिन चोवीस जगवल जगगुरु जगदीस । प्रणमीजै घर प्रेम ॥ ३ ॥ ( ढाल २ ) प्रथ