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तपग विशेषसूत्र विधिसंग्रह -
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हरन ममं पास तित्थयरो ॥ १ ॥ एगंतर जरं निच्चजरं । सीजरं नएहजरं वेला जरं । तह तइयजरं चनत्थजरं । हर ममं पास तित्थयरो ॥ २ ॥ जिए दत्ताणा पालण परस्ससंघस्स बिहि समुग्गस्स | आरोग्ग सोहग्गं अपवग्गं । कुनपास जिणो ॥ ३ ॥ इति ॥ ॥ 1111
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॥ * ॥ श्री बीरजिन चैत्यवंदन ॥ ॥
वं जगदाधार सार सिवसंपति कारण । जन्म जरा मरणादिरूप भवताप निवारण | श्री सिधारथ तात मात त्रिशला तनजात । सोवन वरण सरीखीर त्रिभुवन विज्ञात ॥ १ ॥ अमृत रूपे राजताए । चनवीसम जिननाण । दमा प्रमुख कल्याण गुण आपोकरिसुपसाय ॥ २ ॥ इति ॥
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॥ * ॥ पुनः ॥ २ ॥ ॥
॥ वीरस्सर्व सुरासुरेंड महितो वीरं बुधा संश्रिताः । वीरेणा निहतस्स कर्म निचयो वीराय नित्यंनमः । वीरास्तीर्थमिदं प्रवर्त्तमतुलं वीरस्य घोरें तपो । श्री वीरे धृतिकीर्ति कांति निचयः श्री वीरभद्रदिशः ॥ १ ॥ इति ॥ ॥ ॐ ॥ अथ तप ग विशेष विधि संग्रह ॥ ॥ ॥ * ॥ थ पंचिंदि ॥ * ॥
॥ पंचिदि संवरणो । तह नवविह बंजचेर गुत्तिधरो । चनविह कसाय मुको । इ प्रहारस गुणेहिं संजुत्तो ॥ १ ॥ पंचमह वयजुत्तो । पंचविहायार पालण समत्थो । पंच समिन तिगुत्तो । छत्तीसगुणो गुरु मज्ज़ ॥ २ ॥ इति ॥ * ॥ थखमा समण ॥
॥ इवामि खमासमणो वंदिनं जावणिकाएं निसीही आए मत्थएण वंदामि ॥ ॥ इति ॥ ॥ * ॥ ॥ * ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ अथ सुगुरुनें शातासुख पृच्छा ॥
॥ इकार सुहराइ सुहदेवसी सुखतप शरीर निरावाध सुख संजम जात्रा निर्वहोबोजी स्वामी शाताबेजी जात पाणीनो जान देजोजी ॥ इति ॥ ॥ * ॥ अथ सामायक पारवागाथा ॥ ॥ ॥ सामाइय वयजुत्तो । जावमणे होइ नियम संजुत्तो । बिन्न प्रसु