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राई प्रतिक्रमण बिधि.
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मणा कान लगें निलाम पूंजी | मुहपत्ती आगे मेल्ही । तेहनें मध्यभागै गुरुचरण कल्पना करी । अहो कायं ( इत्यादि आवर्त्त करी ) क्युं हिक कं चो नमी । मस्तकै अंजली करी । गुरुसांझी दृष्टिराखी । खमणिको ने किलामो (इत्यादि पाठ कहे ) पढे । फेर जत्ताने | ( इत्यादि आवर्त्तन कर) ऊनो थई । पाठै पगे भूमि पुंजतो । अवग्रह बाहिर स्वस्थानें वी। आवस्सिया ( इत्यादि पाठ ) सर्व कहैं । बीजी वार बले इम हीज करे। (पिण) अवग्रह बाहिर न नीकलै । तिहां कनोज सर्व पाठ कहै । आवसियाए पद नकहै । (इम सर्वत्र जाणिवूं ) पर्ने अवग्रह मांहि रही कहै । इछाका सं० ० । राइयं आलोवूं ( गुरु कहै आलोएह ) यन् । इवं आलोएम जोमेराईन (इत्यादि पाठ कचरतो) कानसग्ग मां हैं चितव्या । रात्रिसंबंधी प्रतीचार | गुरु समक्ष आलोवे । पर्ने । सवस्सवि राज्य ( इत्यादि पाठ कहै ) तिहां इछाका० सं० न० एपद कहिवै करी । आलोया प्रतीचार नों प्रायश्चित्त मांगे ( गुरु कहै पक्कि मह ) पर्ने । इवंतस्स मिचामि डुक्करुं ( कही ) संमासा प्रमार्जी । प्रासणें बैसी। जीमणो गोमो कंचोराषी । गावो गोमो नीचो करी ( एहवूं कहै ) गवन् सूत्र (गुरु कहै जगह ) प इ कही । ३ नवकार । ३ करेमि अंते ( अथवा ) १ नवकार । १ करेमि नंते ( कही ) इछामि पक्कि मि । जोमेराइन ( इत्यादि कही ) बंदित्तू सूत्र । तनिंदे तंच गरिहामि ( सूधी कहै ) पबै कुनो थई । अब्नु हिनमि आराहणाए ( इत्यादि संपूर्ण कही ) वे बांदा देई || अवग्रह मांहि थको हीज कहै । इछाका ० ॥ सं० । ० । अनुष्ठिनमि अनिंतर । राइयं ( कही ) संमासा प्रमार्जन पूर्वक गोडालीये वैसी । बेबांह पडिलेही । मुहपत्ती वांम हाथसुं मुखें देई । दक्षिण हाथ गुरु सांझो करी। नींचो नम्यो थको । जंकिंचि अप्यत्तियं ( इत्यादि संपूर्ण कहै ) तिवारै गुरु पिण मित्रामि दुक्कडं कहै ) पढे । बे बांदादेई । म प्रमार्जता । पाठे पगे अवग्रह बाहिर आवी | आयरिय उवझाए । इत्यादि गाथा ३ कहे । पबै । करेमि नंते । इछामि गमि कानसग्गं । तस्सुत्तरी । (इत्यादि कही ) कानसग्ग करे । कानसग्ग मांहें ।
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