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पोसह सिज्ञाय जगचूमामणि.
९९ लवजो इमजाणी॥क० ॥५॥ उदय रतन कहै क्रोधनें । काढजो गलें सा ही। काया करजो निरमली। नपशम रसनाही॥क०॥६॥ॐ॥ ॥2॥ इति क्रोधसिज्जाय सं० ॥ * ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥
॥अथ उपदेशमाला पोसह सिज्जाय लि०॥ ॥॥ जगचूमामणि जून। सनो वीरो तिलोय सिरि तिल। एगो लोगा इचो । एगो चक्खू तिहुणस्स ॥ १॥ संवबर मुसल जियो । उम्मासे बघमाण जिणचंदो। इइ विहारिया निरसणा। जएकए व माणेणं ॥ २ ॥ जइता तिलोय नाहो । विसहइ बहुयाइं असरिस जस्स । इय जीयंत कराई। एस खमा सव्व साहूणं ॥ ३ ॥ न चइकाइ चालेन । महइ महा वघमाण जिण चंदो । वसग्ग सहस्सेहिवि । मेरु जहा वाय गुंजा हिं॥ ४॥ जद्दो विणीय विण । पढम गणहरो समत्त सुयनाणी। जाणतो वि तमत्थं । विझिय हियन सुणइ सव्वं ॥५॥ जं आण वेइ राया। पयइन तं सिरेण इछति । इय गुरुजण मुह जणियं । कयं जलिन डेहिं सोयब्बं ॥६॥जह सुरगणाण इंदो। गह गण तारागणाण जहचंदो । जहय पयाण नरीदो। गण स्सवि गुरू तहा णंदो॥७॥बालुत्ति महीपालो।न पया परि हवइ एस गुरु नव मा। जंवापुरने का। बिहरंतिमुणी तहा सोवि ॥८॥ पमिरूवो तेयस्सी । जुग प्पहाणा गमो महुर वको। गंजीरो धिईमंतो। नवएस परोय आयरिन ॥९॥ अपरिस्सावी सोमो । संगह सीलो अजिग्गह मईय । अबिकत्थणो अ चवलो। पसंत हिय गुरू होई ॥ १० ॥ कइयावि जिण वरिंदा । पत्ता अयरामरं पहं दान। आयरिएहिं पवयणं । धारिफाइं संपयं सयलं ॥११॥ अणुगम्मए जगवई । राय मुयजा सहस्स बंदेहिं । तहवि न करेइ माणं । परियबइ तं तहा नूणं ॥ १२ ॥ दिण दिक्खियस्स दमगरस । अनिमुहा अडचंदणा अजा । नेबइ आसण गहणं । सो बिण सव्व असाणं ॥ १३ ॥ वरससय दिक्खियाए । अजाए अऊ दिक्खिन साहू । अनिगमण बंदण नमसणेण । विणएण सो पुझो ॥ १४ ॥ धम्मो पुरस प्पनवो। पुरस वर देसिन पुरस जिहो । लोएवि पहू पुरसो। किंपुण लोग त्तमे धम्मे ॥ १५ ॥ संबाहणस्स रणो । तइया बाणारसीइ नयरीए । कना