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तिथोंका मोटा गेटा स्तवन. द्लुत सास्वता बिंबनमुं मनधरि नहाह॥१॥ पंचमेरु वेताब्य हिमाचल निषध प्रमाण । नीलवंत चित्रसेल कुंमल गजदंत बखांण ॥ रुचक नंदीसर मानु षोत्तर आदि सास्वता जांण । रिषनानन चंद्रानन वारिषेण बधमाण ॥२॥
आठकोम अरुउप्पन लाख सत्ताएं हजार ॥ चवसै उयासी चैत्य सास्वता मंगलकार । सहस अठावीस नवसै पचवीस कोम मिलाय । तेपन लख चवसै अठ्यासी जग जिनराय ॥३॥ केइ आचार्य मते आठकोम सत्ता वन लाख । दोयसै अाएं त्रिनुवनमा सहुचैत्यनी साख । अहावन लख पनरैसै वयालीसकोस । अमतीस सहस बिंबसहु सतप्रसीकी जोम ॥४॥ मगध कोसल अंग बंग कलिंग काशी कुरुदेस । सोरठ कछ विदेह जां गल कुसावर्त्त कहेस । नंग सोबीर वैराट मलय सांमिल सूरसेन । वरण पंचाल दशार्ण कुणाल देसमें चैन ॥ ५ ॥ लाट बिदर सिंधु देससह केकइ अई जांण । साढा पचवीस देश जरतमें आर्य प्रधांन । दोय कोम अहावन लाख ग्यासी हजार । नवस तिहुत्तर ग्रांम नगर मांह बिंब अपार ॥ ६ ॥ वसुसत सातअसी जंबुप्रीप सह आर्य होय । धातकी खं सहस एक सातसै चौतीस जोय । एताही अई पुष्करमांहें देस गि णाय । ग्रांम नगर माहै बिंब अनेक नमुं गुणगाय ॥७॥ सिपशेल उर्जि त शिखरगिरि मोटाधांम । अष्टापद चंपा पावापुरि शिवसुख गंम । तारंगा अर्बुद राजग्रही क्षेत्र प्रमाण । अंतरीक धूलेवा राणपुरो जगनांण ॥ ८॥ श्रीप असंख्या जल थल पर्वत सिखर सुहाय । कनक धातु पाखाण रयण सहु बिंबरहाय । इम त्रिहुंलोक असास्वती सास्वती थांपना देख । त्रि करण सुधै नित प्रति प्रणमुं सहु गुण लेख ॥ ९॥ थापना जगवंते कही आगम मांह प्रमाण। अंग नपांग देखी मन निश्चय राखो सुजाण । जे नत्सुत्र वचनके नाषक जासी निगोद । अनंत काल नमतां कृणनर नहिं पांमें विनोद ॥ १० ॥ सोम्य मूरत प्रनुनी देखी नविपांमें वोध । आद्र कुमरकी रीते देखो आगम सोध । द्रव्यनाव विधिसंयुक्त सुर नर पूजे जेय । गुण पिमस्थ पदस्थ रूपस्थ रूपातीत लेय ॥ ११॥ रिषनादिक चौवीस तिर्थकर नमुं मन लाय । गणधर सहु संघ मंगलकारी नित प्रति थाय ।