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बालरे। चपलपणे छेहडे गयो, ताणे मोतीमालरे ॥६४॥ घरेआवोरे० ताणंतो वली घूघरी, भूमि पड्यो ते बालरे । अंजनासुंदरी वलवलें, पामी, दुख असरालरे ॥ ६५ ॥ घरे० जीवाडोरे पुत्र रतन, हृदयानंद जीवाडोरे। राखो भूमि पडतो बालक, नयन कमल उघाडोरे ॥ जीवाडोरे० आंकणी० एवडो दुख देइ करी, देव न त्रिपतो हेवरे। नंदन मुख जोवातणुं, सुख न खम्युं ततखेवरे॥६६॥ जीवाडोरेवदैवें हं मारीखरी, माहरी हणी सुख आसरे । कइ में बाल विछोहियां, कई कोईने कर्या निरासरे।६७॥ जीवाडोरे० में अंतमय घणां कर्या, केहनें कीध संतापरे । कइ में आल कूडा दीयां, में कीधां बहुलां पापरे ॥६८॥ जीवाडोरे० खातां पितां पहेरतां, अदेखाई अति कीधोरे । वियोग दीयो में केयनें, जूठी साख में दीधीरे ॥६९॥ जीवाडोरे० थापण मोसा में कीया, छोडी गांठ पीयारीरे । के धन चोया पारकां, निंदा करी अविचारीरे ॥७०॥ जीवाडोरे० सज्जनस्युं द्रोह चिंतव्यो, धर्मि धर्म विछोड्यारे । श्राप दीया में केहने, लोधे करडका मोड्यारे ॥७१॥ जीवाडोरे० बाल विछोहियों धावणा, भांजी तरुवर शाखारे । सरवरपाल फोडी घणी, के समराव्यां आखारे ॥७२॥ जीवाडोरे० नोल कोल उंदरतणां, बिल पूर्या अधिकरांरे । हया कीधी सोटकी, के में कीधा हेरांरे ॥७३॥ जीवाडोरे० के में माला पाड़ियां, के. विलूरी वेलिरे। के काचां फल तोडियां, कोइ सिर दीधी हेलिरे ॥७४॥ जीवाडोरे० गोरुछोरू सती खत्री, संताप्या सुकुमालरे।