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ऐतिहासिक महाकाव्य
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सफलता प्राप्त हुई है, उसका बहुत कुछ अंश राम को अपना कथानायक चुनने के कारण है । राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और सीता के उदात्त गुणों का यहाँ पर उल्लेख अनावश्यक है । इसी प्रकार लङ्का और किष्किन्धा के प्रमुख पात्रों का उल्लेख भी अनावश्यक ही है । वाल्मीकि ने दशरथ की तीनों रानियों के मनोभावों का अच्छी प्रकार अध्ययन किया है। उसने तीनों के स्वभाव में वैषम्य प्रदर्शित किया है । राम के वनवास के समय तथा दशरथ की मृत्यु के समय कौशल्या के विचार, स्वभाव और व्यवहार का बहुत सुन्दर वर्णन किया है। राम और सीता के साथ लक्ष्मण को भेजते समय सुमित्रा का चरित्र-चित्रण तथा दशरथ से वरदान माँगते समय और उसके बाद तथा भरत के द्वारा राज्य को अस्वीकार करने पर कैकेयी के दुःखित होने पर उसके विचार और व्यवहार का सुन्दर चित्रण किया है ।
वाल्मीकि में वर्णन की अपूर्व शक्ति है। उसने राजप्रासादों', नागरिकजोवन, उपवनों, पर्वतों, चन्द्रोदय', नदियों, ऋतुओं--शरद्, वर्षा , पतझड़, वनप्रदेशों", आश्रमों, सेनाओं और युद्धों१२ तथा अन्य वस्तुओं का असाधारण वर्णन किया है । प्रकृति के वर्णन पाठकों और श्रोताओं पर असाधारण प्रभाव डालते हैं । ऐसा गंभीर और वास्तविकता से युक्त प्रभावकारी वर्णन अन्यत्र उपलब्ध नहीं होता है।
रामायण में असंख्य सुभाषित हैं । कुछ सुभाषित निम्नलिखित हैं-- १. भयं भीताद् हि जायते । रामायण २-८-५ २. समद्धियुक्ता हि पुरुषा न सहन्ते परस्तवम् । रा० २-२६-२५ १. रामायण ५-६, ६। २. रामायण १-५ । ३. रामायण ५-१४ ।
४. रामायण २-६४ । ५. रामायण ५-५।
६. रामायण २-६५, ३-७५ । ७. रामायण ३-१६ । ८. रामायण ४-२८ । १. रामायण ४-३० ।
१०. रामायण १-२४ । ११. रामायण ३-७,११ ।। १२. रामायण ३-२०-३० ।