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________________ अध्याय ८ ऐतिहासिक महाकाव्य रामायण ऐतिहासिक महाकाव्य-ऐतिहासिक महाकाव्यों का समय वैदिक और श्रेण्यकाल के मध्य में पड़ता है । यह बात इस समय के साहित्य में प्राप्त कतिपय विशेषताओं से स्पष्ट है । इन महाकाव्यों में शब्दों के प्राचीन रूप, सरल भाषा, आत्मनेपद और परस्मैपद को विभक्तियों से युक्त धातुरूपों का स्वतन्त्र प्रयोग तथा अन्य कतिपय विशेषताएँ प्राप्त होती हैं, जो श्रेण्यकाल की भाषा की अपेक्षा वैदिक काल की भाषा से अधिक समानता रखती हैं। ऐतिहासिक महाकाव्य प्राचीन हिन्दुनों के लौकिक जीवन को प्रकट करते हैं । इस साहित्य का प्रारम्भ बैदिक काल में ही हो चुका था। पाख्यान, पुराण, इतिहास शब्द वैदिक साहित्य में उपलब्ध होते हैं । पुरुरवा और उर्वशी, शुनःशेप तथा अन्य कथाएँ, जो वैदिक साहित्य में प्राप्त होती हैं, ऐतिहासिक महाकाव्यों के प्रारम्भ को सूचित करती हैं । इतिहास शब्द इति+ह + आस से बना है और इसका अर्थ है कि ऐसा वस्तुतः हुप्रा था । अतः यह शब्द इस बात को सूचित करता है कि एसी घटना बहुत समय पूर्व घटित हुई थी। ____ इति हेत्यव्ययं पारम्पर्योपदेशाभिधायि । तस्यासनम् प्रासः अवस्थानमेतेष्विति इतिहासाः पुरावृत्तानि । इतिहास का लक्षण किया गया है कि जिसमें प्राचीन समय की कथाएँ हों और जो धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के विषय में आवश्यक उपदेश दे। धर्मार्थकाममोक्षाणामुपदेशसमन्वितम् । पूर्ववृत्त कथायुक्तमितिहासं प्रचक्षते ॥ ४७
SR No.032058
Book TitleSanskrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV Vardacharya
PublisherRamnarayanlal Beniprasad
Publication Year1962
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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