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________________ उपवेद ३४७ है । १७वीं शताब्दी ई० में संगीत विषय पर ये ग्रन्थ लिखे गये थे - सोमनाथ का १६०६ ई० में लिखित राजविबोध, चतुरदामोदर का संगीतदर्पण, गोविन्ददीक्षित के पुत्र वेंकटमखिन् का चतुर्दण्डिप्रकाशिका, नेपाल के राजा जगज्ज्योतिर्मल्ल ( १६१७- १६३३ ई० ) का संगीतसारसंग्रह, अहोबिल का संगीतपारिजात और शुभंकर का संगीतदामोदर | ट्रावनकोर के राजा बालरामवर्मा ( १७५३- १७९८ ई० ) ने संगीत और नृत्य के विषय में बालरामभरत ग्रन्थ लिखा है । धनुर्वेद धनुर्वेद एक उपवेद माना जाता है । कहा जाता है कि विश्वामित्र ने इस विषय पर एक ग्रन्थ लिखा था जो इस समय उपलब्ध नहीं है । विश्वास किया जाता है कि चार भागों में विभक्त है— दीक्षा अर्थात् शिक्षण या ट्रेनिङ्ग, संग्रह अर्थात् अस्त्रप्राप्ति, सिद्धि अर्थात् अस्त्रों को प्रयोग करने को कुशलता और प्रयोग अर्थात् उन अस्त्रों का प्रयोग । विक्रमादित्य दाशिव और शार्ङ्गदत्त ने इस शास्त्र पर ग्रन्थ लिखे थे किन्तु वे ग्रन्थ ज उपलब्ध नहीं हैं। कोदण्डमण्डन भी धनुर्विद्या का एक ग्रन्थ है । शार्गधर ( ( १३६३ ई० ) के वीरचिन्तामणि में युद्ध सम्बन्धी विषयों का वर्णन है । अर्थशास्त्र अर्थशास्त्र जीवन के द्वितीय लक्ष्य अर्थ का वर्णन करता है । इसमें राजनीति का भी समावेश है अर्थशास्त्र के सिद्धान्तों का वर्णन रामायण और महाभारत: में प्राप्त होता है । इस विषय का प्रारम्भ महाभारत और धर्मशास्त्र आदि: के नीति-विषयक श्लोकों से होता है । यह माना जाता है कि इन्द्र ने अर्थ -- शास्त्र विषय पर एक ग्रन्थ बाहुदन्तक लिखा था । मनुस्मृति और याज्ञवल्क्य -- स्मृति में अर्थशास्त्र -सम्बन्धी समस्यायों पर विवेचन मिलता है । इस शास्त्र को नीतिशास्त्र, राजनीतिशास्त्र और दण्डनीतिशास्त्र भी कहते हैं । अर्थशास्त्र का सबसे प्राचीन आचार्य बृहस्पति माना जाता है ।
SR No.032058
Book TitleSanskrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV Vardacharya
PublisherRamnarayanlal Beniprasad
Publication Year1962
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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