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संस्कृत साहित्य का इतिहास
प्रकरण नाटक लिखा है। यह मालतीमाधव के अन्धानुकरण पर लिखा गया है। काशीपति कविराज ने एक भाण नाटक मुकुन्दानन्द लिखा है ! इसका समय १३वीं शताब्दी ई० से पूर्व का नहीं है । वामनभट्ट बाण ( १४२० ई० ) ने तीन नाटक लिखे हैं--पार्वतीपरिणय, कनकलेखाकल्याण और शृङ्गारभूषणभाण । पार्वतीपरिणय में पाँच अङ्क हैं । इसमें पार्वती के शिव से विवाह का वर्णन है । यह कुमारसम्भव पर आश्रित है । कनकलेखाकल्याण एक नाटिका है। इसमें चार अंक हैं । शृङ्गारभूषणभाण एक भाण नाटक है । गंगाधर ने गंगादासप्रतापविलास नाटक लिखा है । इसमें १४५० ई० में हुए राजकुमार चम्पानीर और गुजरात के शाह के युद्ध का वर्णन है । हरिहर ने पाँच अङ्गों में भर्तहरिनिर्वेद नाटक लिखा है । इसमें राजा भर्तृहरि के वैराग्य का वर्णन है। इसका समय १५वीं शताब्दी ई० पूर्वार्द्ध समझना चाहिए । श्रीकृष्ण चैतन्य का शिष्य रूपगोस्वामी ( १५०० ई० ) तीन नाटकों का लेखक माना माता है--(१) विदग्धमाधव । इसमें सात अङ्क हैं । (२) ललितमाधव । इसमें दस अङ्क हैं । (३) दानकेलिकौमुदी । यह भाण नाटक है। ये तीनों नाटक कृष्ण के स्तुति-रूप में लिखे गये हैं। इसी समय गोकुलनाथ ने सात अङ्कों में मुदितमदालसा नाटक लिखा है । शेषकृष्ण ( १६०० ई० ) ने कंसवध नाटक लिखा है । इसमें सात अङ्क हैं । इसमें कृष्ण के द्वारा कंस के वध का वर्णन है और कंस के पिता उग्रसेन को गद्दी पर बैठाने का वर्णन है। अप्पयदीक्षित से पूर्वोत्पन्न रत्नखेट श्रीनिवास दीक्षित ( १५७० ई० ) ने भैमीपरिणय नाटक लिखा है। इसमें दमयन्ती के नल से विवाह का वर्णन है। गोविन्द दीक्षित के पुत्र यज्ञनारायण दीक्षित ने रघुनाथविलास नाटक लिखा है । इसमें तंजौर के राजा रघनाथ नायक (१६१४-१६३२ ई०) का जीवन-चरित वर्णित है। इसका समय १६३० ई० के लगभग है । इसी शताब्दी के पूर्वार्द्ध में नेपाल के एक आश्रित राजा जगज्ज्योतिर्मल्ल ने हरगौरीविवाह नाटक लिखा है । इसे एक संगीतप्रधान नाटक कह सकते हैं । गुरुराम ( १६३० ई० ) तीन नाटकों का