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________________ कालिदास के परवर्ती नाटककार २६५ नाटक इसलिए लिखा है कि उसने साहित्यशास्त्र पर जो ग्रन्थ लिखा है, उसमें नाट्यशास्त्र के विषय में जो नियम दिये हैं, उनका उदाहरण इसमें प्रस्तुत किया जाय । नरसिंह विद्यानाथ अथवा अगस्त्य का भतीजा था । उसने १३५० ई० के लगभग आठ अङ्कों में कादम्बरीकल्याण नाम से कादम्बरी की कथा को नाटकीय रूप में प्रस्तुत किया है । नरसिंह के भाई तथा मथुराविजय की लेखिका गंगादेवी के गुरु विश्वनाथ ने १३५० ई० के लगभग सौगन्धिकाहरण नामक व्यायोग रूपक लिखा है । इसमें वर्णन किया गया है कि द्रौपदी के कथन पर भीम सौगन्धिका का फूल लाता है । ज्योतिरीश्वर ने एक प्रहसन धूर्तसमागम लिखा है । उसकी उपाधि कविशेखर थी । वह १४वीं शताब्दी ई० के पूर्वार्द्ध में हुआ था । भास्कर ने उन्मत्तराघव नाम का एक एकांकी नाटक लिखा है । इसमें सीता के वियोग में उन्मत्त राम का वर्णन है । इसके लेखक का निर्णयात्मक परिचय अज्ञात है । यदि इस नाटक में उल्लिखित विद्यारण्य विजयनगर के निवासी प्रसिद्ध विद्वान् विद्यारण्य ही हैं, तो इसका समय १३५० ई० के लगभग माना जा सकता है । सीता स्त्रियों के लिए निषिद्ध एक उपवन में प्रवेश करती है और अदृष्ट हो जाती है | अगस्त्य ऋषि ने राम पर दया की और राम को सीता प्राप्त करा दी । यह पूरा नाटक विक्रमोर्वशीय के चतुर्थ अङ्क पर लिखा गया है | विजयनगर के हरिहर द्वितीय के पुत्र विरूपाक्ष ने एक एकांकी नाटक उन्मत्तराघव लिखा है । इसका समय १४वीं शताब्दी का उत्तरार्द्ध ज्ञात होता है । यह प्रेक्षणक नाटक है। सीता के हर्ता रावण पर लक्ष्मण ने आक्रमण किया और उसको मार दिया । राम उस समय उन्मत्तावस्था में थे । जब लक्ष्मण सीता को ले आये तब राम होश में आये । इस पर विक्रमोर्वशीय के चतुर्थ अङ्क का प्रभाव पड़ा है । विरूपाक्ष का ही दूसरा नाटक नारायणविलास है । एक नेपाली कवि मणिक ने १४वीं शताब्दी ई० के अन्तिम भाग में भैरवानन्द नामक नाटक लिखा है । इसमें भैरव का एक स्वर्गीय स्त्री मदनवती से प्रेमका वर्णन है । कोकिलसंदेश के लेखक उदण्ड ( १४०० ई० ) ने मल्लिकामरुत नामक एक दस अङ्कों में अनुकरण
SR No.032058
Book TitleSanskrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV Vardacharya
PublisherRamnarayanlal Beniprasad
Publication Year1962
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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