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________________ २६० संस्कृत साहित्य का इतिहास नष्ट हो चुके हैं । उसके नाटकों में से नाम-मात्र से ज्ञात तीन नाटकों स्वप्नदशानन, प्रतिज्ञाचाणक्य और मनोरमावत्सराज में से स्वप्नदशानन नाटक सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। राजशेखर यायावरीय वंश में उत्पन्न हुअा था । वह प्रतिहार राजा निर्भय (८६५ ई०) का गुरु था । अतः उसका समय ६०० ई० के लगभग मानना चाहिए । उसने चहमान वंश की एक सुन्दर स्त्री अवन्तिसुन्दरी से विवाह किया था । बालरामायण की प्रस्तावना से ज्ञात होता है कि उसने ६ नाटक लिखे हैं । उनमें से केवल चार प्राप्त होते हैं-कर्पूरमंजरी, बालरामायण, विद्धसालभंजिका और बालभारत । ____ कर्पूरमंजरी उसका सर्वप्रथम नाटक है । यह सट्टक-नाटक है । यह उसने अपनी पत्नी की प्रार्थना पर बनाया था । इसमें राजकुमार चण्डपाल और राजकुमारी कर्पूरमंजरी के विवाह का वर्णन है । इसमें दोहद-वर्णन, रानी के द्वारा राजकुमार के बन्दी बनाये जाने आदि के वर्णन से ज्ञात होता है कि इस पर मालविकाग्निमित्र और रत्नावली का प्रभाव पड़ा है । इसके अङ्कों का नाम जवनिकान्तर है। इसका दूसरा नाटक बालरामायण है । यह उसने राजा निर्भय के लिए लिखा था। इसके दस अङ्कों में राम-कथा का वर्णन है। इसको महानाटक कहते हैं । इसको प्रस्तावना नाटक के एक अङ्क के बराबर है और प्रत्येक अङ्क एक नाटिका के बराबर है। रावण सीता के स्वयंवर के लिए एक प्रार्थी था । स्वयंवर में निराश होकर जाते समय उसने प्रतिज्ञा की कि जो भी सीता से विवाह करेगा, उसका में वध करूंगा। सीता का विवाह लंका में उसके सामने अभिनय किया जाता है । वह सीता की लकड़ी की प्रतिमा से प्रेम करने लगता है । विक्रमोर्वशीय में पुरूरवा की तरह वह सीता के वियोग को सहन करने में असमर्थ होकर वन में घूमने लगता है । इसके अन्तिम अङ्क में विमान से राम के लौटने का वर्णन है । इस अङ्क के वर्णन से ज्ञात होता है कि लेखक का भौगोलिक ज्ञान अपूर्ण है। इस नाटक में रावण के प्रेम को महत्त्व दिया गया है । उसका तीसरा नाटक
SR No.032058
Book TitleSanskrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV Vardacharya
PublisherRamnarayanlal Beniprasad
Publication Year1962
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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