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संस्कृत नाटक
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रूप में कृष्ण का दुर्योधन के पास जाने का वर्णन है । यही अकेला नाटक है जिसमें एक भी प्राकृत का वाक्य नहीं है। (३) मध्यमव्यायोग । यह एकांकी नाटक है । यह व्यायोग रूपक है। भीम के पुत्र घटोत्कच ने एक ब्राह्मण के पुत्र पर आक्रमण किया और भीम ने उसको बचाया । घटोत्कच की माता हिडम्बा ने उसके पिता से उसका परिचय कराया। घटोत्कच ने प्रतिज्ञा की कि वह भविष्य में किसी ब्राह्मण की हत्या नहीं करेगा (४) दूतघटोत्कच । यह एकांकी नाटक है । अभिमन्यु की मृत्यु के पश्चात् श्रीकृष्ण घटोत्कच को दुर्योधन के पास भेजते हैं । दुर्योधन उसका अपमान करता है। उसने अर्जुन के द्वारा कौरवों के नाश को भविष्यवाणी की । (५) कर्णभार । यह एकांकी नाटक है । इसमें कर्ण का ब्राह्मण-वेषधारी इन्द्र को कवच और कुण्डल दान में देने का वर्णन है । इसमें कर्ण की शूरवीरता की भावना का सुन्दर वर्णन है । (६) ऊरुभंग । यह एकांकी नाटक है । इसमें भीम के द्वारा दुर्योधन की जंघा को भंग करके उसको मारने का वर्णन है। इसमें नाटकीय परम्परा के विरुद्ध रंगमंच पर दुर्योधन का वध दिखाया गया है ।
बालचरित में पाँच अंक हैं। इसमें श्रीकृष्ण के जन्म और उनकी बालक्रीड़ानों का वर्णन है। इसमें कृष्ण के जीवन के विषय में जिन घटनाओं का वर्णन है, उनका उल्लेख भागवत, विष्णुपुराण और हरिवंश में नहीं है । इसमें कृष्ण को वसुदेव का सातवाँ पुत्र बताया गया है । बाद के ग्रन्थों में राधा कृष्ण को प्रिया के रूप में वर्णित है, परन्तु इसमें राधा का उल्लेख नहीं है। कृष्णजीवन से संबद्ध बाद के ग्रन्थों में जो शृङ्गार और अश्लीलता प्राप्त होती है, वह इसमें सर्वथा नहीं है । नाटकीय परम्परा के विरुद्ध भास ने इस नाटक में रंगमंच पर श्रीकृष्ण और अरिष्ट नामक राक्षस का युद्ध तथा कंस की मत्य का वर्णन किया है । इसके तृतीय अंक में हल्लीश नृत्य का एक दृश्य है ।
कथाओं पर आश्रित भास के नाटक (१) प्रतिज्ञायौगन्धरायण । इसमें चार अंक हैं। इसमें उज्जैन के राजा द्योत के द्वारा राजा उदयन के बन्दी किये जाने का वर्णन है । राजा