________________
अध्याय २० नीति-कथाएँ
नीति कथाएँ भारतीय साहित्य की एक मुख्य विशेषता रही हैं । ई० सन् से पूर्व नीति- कथा - साहित्य की सत्ता पतंजलि के एक कथन से ज्ञात होती है ।" नीति - कथाएँ गद्य में लिखी जाती हैं और उनमें श्लोक बीच-बीच में उद्धृत होते हैं । ये श्लोक रामायण, महाभारत तथा अन्य नीति-ग्रन्थों से लिये हुएहोते हैं । इन श्लोकों में नीति-सम्बन्धी कोई शिक्षा होती है और उसके समर्थन में कथा दी जाती है । साधारणतया एक कहानी के अन्दर दूसरी कहानी जोड़ी हुई होती है । इस प्रकार एक कहानी में कई कहानियाँ हो जाती हैं । ये कहानियाँ नीति - श्लोकों के साथ दी गई हैं । प्रत्येक कहानी के अन्त में पद्य में नीति-सम्बन्धी शिक्षा दी गई है और उनके साथ ही नई कहानी का संकेत होता है । तत्पश्चात् नई कहानी कही जाती है । प्रत्येक कहानी के साथ यह ही क्रम होता है । कहानी के अन्दर कहानी रखने का क्रम बहुत प्रचलित हुआ और इस पद्धति को विदेशियों ने भी अपनाया तथा अरेबियन नाइट्स 'जैसी पुस्तकें प्रस्तुत कीं । ये नीति - कथाएँ संस्कृत में लिखी गई ।
इन कथाओंों की एक विशेषता यह है कि इनमें मनुष्य के स्थान पर पशु और पक्षी रक्खे गये हैं । वे मानवीय गुणों और स्वभाव से युक्त होते हैं । पशु, पक्षी और वृक्ष अपने स्वभाव और व्यवहार के द्वारा मनुष्य को बहुत कुछ शिक्षा दे सकते हैं । पशु, पक्षी और वृक्षों की कथा के द्वारा जीवन के अच्छे और बुरे दोनों स्वरूपों का बहुत सुन्दरता के साथ प्रतिपादन किया गया है । १. पतंजलि ने प्रजाकृपाणीय और काकतालीय आदि शब्दों की व्युत्पत्ति दी है । इससे ज्ञात होता है कि इनका सम्बन्ध किसी कहानी से है ।