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________________ गद्यकाव्य १६६ इस ग्रन्थ को यहीं पर अपूर्ण रूप में समाप्त करने का कारण अज्ञात है। इस विषय में यह विचार प्रस्तुत किया गया है कि हर्ष ने बौद्धों को जो आदर दिया है, उसको बाण ने उचित नहीं समझा । दूसरा विचार यह है कि जब वाण यह ग्रन्थ लिख रहा था, उस समय पुलकेशी द्वितीय के आक्रमण के कारण उसके आश्रयदाता हर्ष को बहुत क्षति पहुंची थी। बाण ने अपने प्राश्रयदाता के विषय में इन दुर्घटनाओं का उल्लेख उचित नहीं समझा होगा, अतः उसने आगे की घटनाएँ नहीं लिखीं । कुछ विद्वानों ने यह विचार प्रस्तुत किया है कि बाण के स्वर्गवास के कारण वह इसको पूर्ण नहीं कर सका । उपर्युक्त सभी विचार केवल कल्पनामात्र हैं, अतः विशेष ध्यान देने योग्य नहीं हैं। __ यह ग्रन्थ बाण के पूर्ववर्ती कवियों का समय-निर्धारण करने के लिए बहुत ही उपयोगी है । उसके प्रारम्भिक श्लोकों में निम्नलिखित कवियों और ग्रन्थों का उल्लेख है--वासवदत्ता, भट्टार हरिचन्द्र, सातवाहन, प्रवरसेन, भास, कालिदास, बृहत्कथा और पाढ्यराज । ___ कादम्बरी एक प्रेमाख्यान है । इसमें कादम्बरी और चन्द्रापीड तथा महाश्वेता और पुण्डरीक इन दोनों युगलों के प्रेम का वर्णन है । बाण इस ग्रन्थ को अपूर्ण छोड़कर दिवंगत हुआ । शेष अंश को उसके पुत्र भूषण बाण ने पूर्व किया। एक शाप के कारण पुण्डरीक का स्वर्गवास हो जाता है और वह वैशम्पायन नाम से उत्पन्न होता है तथा चन्द्रापीड का मित्र होता है । दैवगति से चन्द्रापीड और वैशम्पायन का स्वर्गवास होता है और चन्द्रापीड राजा शुद्रक के रूप में उत्पन्न होता है तथा वैशम्पायन तोते के रूप में उत्पन्न होता है और उनका नाम वही रहता है । कादम्बरी और महाश्वेता सखियाँ हैं । कादम्बरी का चन्द्राीड से और महाश्वेता का पुण्डरीक से प्रेम होता है । आकाशवाणी होती है कि उनका अपने प्रेमियों से पुनर्मिलन होगा । एक दिन तोता वैशम्पायन राजा शूद्रक की सभा में लाया गया और उसने पूर्व जन्म की सारी बातें उसको १. कादम्बरी उत्तर भाग भूमिका-श्लोक ४ ।
SR No.032058
Book TitleSanskrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV Vardacharya
PublisherRamnarayanlal Beniprasad
Publication Year1962
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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