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________________ १५६ संस्कृत साहित्य का इतिहास का सर्वप्रथम संग्रह चाणक्यशतक है । इसमें ३४० श्लोक हैं। इसमें साधारणतया आचार-विषयक बातों का वर्णन है । यह स्पष्ट नहीं है कि अर्थशास्त्र का लेखक चाणक्य ही इसका लेखक है । राजनीतिसमुच्चय और वद्ध वाणक्य आदि ग्रन्थ भी इसी प्रकार के हैं। बौद्धों ने बौद्धधर्मावलम्बियों के लिए इस प्रकार का संग्रह धम्मद नामक ग्रन्थ के रूप में किया है । सुन्दरपाण्ड्य का नीतिद्विषष्ठिका ही सबसे प्राचीन ग्रन्थ है जिसके विषय में निश्चित सूचना प्राप्त होती है। इसमें उपदेशात्मक ११६ श्लोक सुभाषित-ग्रन्थकारों ने इस ग्रन्थ से बहुत से श्लोक उद्धृत किए हैं, परन्तु उन्होंने इस ग्रन्थ का नामोल्लेख नहीं किया है । जनाश्रय (६०० ई०) ने इसकी एक पंक्ति अपने ग्रन्थ छन्दोविचित में उद्धृत की है । सुन्दरपाण्ड्य ने अन्य ग्रन्य भी लिखे थे, परन्तु वे अब नष्ट हो गए हैं। कुमारिल (६५० ई०) और शंकराचार्य ने उनके अन्य ग्रन्थों के भी श्लोक उद्धृत किए हैं। वह मदुरा का निवासी था। उसका समय (५०० ई०) के लगभग है ।' शांतिदेव (६०० ई० के लगभग) ने बोधिचर्यावतार ग्रन्थ लिखा है। इनमें बोधिसत्त्व (ज्ञानप्राप्ति के इच्छक) के कर्तव्यों का उल्लेख किया गया है। मनुष्यमात्र से प्रेम करने के महत्त्व पर विशेष बल दिया गया है। इस ग्रन्थ की प्रसिद्धि इस पर प्राप्त होने वाली अनेक टोकानों से ज्ञात होती है । उसने इसी प्रकार के अन्य दो ग्रन्थ शिक्षासमुच्चय और सूत्रप्समुच्चय लिये हैं। ये दोनों कम महत्त्व के हैं । भर्तृहरि ने शृंगारशतक के अतिरिक्त नीतिशतक और वैराग्यशतक भी लिखे हैं । इनमें से प्रथम में नीतिविषयक सौ श्लोक हैं और दूसरे में वैराग्यसम्बन्धी सौ श्लोक हैं । पाश्चात्य विहान भर्तृहरि को तीनों शतकों का लेखक नहीं मानते हैं । इन तीनों शतकों का आजकल जो संस्करण मिलता है, उसमें बहुत से प्रक्षिप्त श्लोक मिलते हैं। साहित्यिक महत्त्व की दृष्टि से इस प्रकार के काव्य में नीतिशतक सर्वोत्तम ग्रन्थों में से एक है । वैराग्यशतक उत्कृष्ट शैली में लिखा गया है। इसमें उन १. एम० आर० कवि लिखित नीतिद्विषष्ठिका की भूमिका ।
SR No.032058
Book TitleSanskrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV Vardacharya
PublisherRamnarayanlal Beniprasad
Publication Year1962
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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