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- काव्य-साहित्य
कालिदास का सम्बन्ध ऐसे राजा से स्थापित किया जाय, जिसकी उपाधि विक्रमादित्य हो। कम से कम ऐसे चार राजा हैं, जिनकी उपाधि विक्रमादित्य है । वे हैं-(१) उज्जैन के राजा विक्रामादित्य, जिन्होंने ५६ ई० पू० में विक्रम संवत् की स्थापना की है, (२) चन्द्रगप्त द्वितीय (३५७-४१३ ई०), (३) कुमारगुप्त प्रथम (४१३-४५५ ई०), (४) कश्मीर का विक्रमादित्य (५०० ई०)। भारतीय परम्परा के अनुसार कालिदास उस विक्रमादित्य का आश्रित कवि था; जो ईसा से पूर्व हुआ है। पाश्चात्य विद्वान् उस विक्रमादित्य को काल्पनिक व्यक्ति मानते हैं। ईसा से पूर्व विक्रमादित्य नामक राजा का होना निःसन्दिग्ध है। प्रथम शताब्दी में उत्पन्न सातवाहन ने अपनी पुस्तक गाथासप्तशती' में विक्रम राजा का उल्लेख किया है तथा विक्रम संवत् की स्थापना से सिद्ध होता है कि ईसा से पूर्व प्रथम शताब्दी में विक्रमादित्य नामक राजा हुआ है । पाश्चात्त्य विद्वान् कालिदास का सम्बन्ध गुप्त महाराजा चन्द्रगुप्त द्वितीय और कुमारगुप्त प्रथम से स्थापित करते हैं । इस प्रकार कालिदास के विषय में दो प्रमुख मत हैं।
कालिदास के ग्रन्थों में उपलब्ध कतिपय तथ्यों के आधार पर कुछ विद्वानों ने कालिदास का समय ४०० ई० या ५०० ई० निर्धारित करने का प्रयत्न किया है । वे मेघदूत में आए हुए 'दिङ नागानाम्" प्रयोग से बौद्ध-दार्शनिक दिङ नाग (४०० ई०) का उल्लेख समझते हैं। उनके मतानुसार दिङ नाग कालिदास का विरोधी था। इसी आधार पर वे कालिदास का समय ४०० ई० के लगभग मानते हैं । यह युक्ति सर्वथा अयुक्त है। इसका कोई प्राधार या प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया गया है कि हिन्दू कवि कालिदास और बौद्ध-दार्शनिक दिङ नाग में वस्तुतः कोई विरोध था । कुछ भारतीय विद्वान 'दिङ नागानाम्' से कुन्दमाला नाटक के लेखक हिन्दू कवि दिङ नाग का उल्लेख समझते हैं । कुछ
.... १. सातवाहन कृत गाथासप्तशती ६-५४ ।
२. कालिदास--मेवदूत, पूर्व० १४।।.
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