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भ्रम विध्वंसनम् ।
फोडण रा प्रायश्चित्त रो पाठ हुवे तो इम कहिता "तस्सठाणस्स आलोइय पडिक्कते" पिण इम तो कह्यो नथी। ते माटे लब्धि फोडण रो प्रायश्चित्त चालयो नहीं। भगवती श० २० उ० ६ जंघा चारण विद्या चारण लब्धि फोडे तेहनों प्रायश्चित्त चाल्यो छै। तिहां एहवो पाठ कह्यो छै। "तस्स ठाणस्स आलोइय पडिपकते” इम कयो । तथा भगवती श० ३ उ० ४ वैक्रिय करे तेहनों प्रायश्त्ति कह्यो। तिहां पिण "तस्स ठाणस्स आलोइय पडिक्कते" इम पाठ कह्यो । लब्धि 'फोड़ी ते स्थानक आलोयां आराधक कह्या। अनें सुमंगल ने अधिकारे "तस्स ठाणस्स" पाठ नथी। ते माटे लब्धि फोडण रो प्रायश्चित्त चाल्यो नहीं । जे सीहो मणगार मोटे २ शब्दे रोयो वांग पाड़ो ते अकल्पनीक कार्य छै । तेहनों प्रायश्चित्त चाल्यो नहीं। अइमुत्ते पाणी में पात्री तराई ए पिण कार्य साधु ने करवा जोग नहीं। उपयोग चूक ने कियो। तेहनें पिण प्रायश्चित्त जोइये पिण चाल्यो नहीं। रहनेमी राजमती ने कह्यो, हे सुन्दरि! आपां संसार ना काम भोग भोगवी भुक्त भोगी थइ पछे वली दीक्षा लेस्यां। ए पिण बचन महा अयोग्य पापकारी छै । तेहनों पिण दंड चाल्यो नहीं। धर्मघोष रा साधा गुरां ने बिना पूछयां घणा पंथ मिले तिहां नागश्री ने हेलो निन्दी एहनों पिण दंड चाल्यो नहीं। सेलक में उसन्नो पासत्थो कुशीलियो संसत्तो प्रमादी कह्यो। वली सेलक जिसो हुवे तिण ने हेलया योग्य निन्दना योग्य यावत् अनन्त संसारी कह्यो। ते सेलक ने पिण प्रायश्चित्त चाल्यो नहीं। पंथक सेलक पासत्था नी ब्यावच करी तेहनों पिण दंड चाल्यो नहीं। सुमंगल अनगार राजा सारथी घोड़ा रथ सहित में भस्म करसी तेहनें पिण प्रायश्चित्त चाल्यो नहीं। तिम भगवन्त पिण छद्मस्थ पणे लब्धि फोड़ी गोशाला ने बचायो तेहनों पिण प्रायश्चित्त चाल्यो नहीं। जिम ए पाछे कह्या सीहादिक अणगार में दंड चाल्यो नहीं। पिण लियो इज होस्ये। तिम भगवन्त पिण लब्धि फोड़ो तिण रो दंड चाल्यो नहीं। पिण लियो इज होसी। डाहा हुवे तो विचारि जोइजो ।
इति ६ बोल सम्पूर्ण।
केतला एक कहे--गोशाला में भगवान लब्धि फोड़ी बचायो। तिण में दोष लागे तो भमवान में मियंठो फिस्यो हुन्तो। भगवान् में छमस्थ पणे कषाय