SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 264
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ L and RAMA प्रायश्चित्ताऽधिकारः। तएणं से कत्तिए अणगारे ठाणे सुव्वयस्स अरहओ तहा रूवाणं थेराणं अंतियं सामाइय माइयाई चउदस्सपुवाई अहिजई २ त्ता वहुई चउत्थ छट्टम जाव अप्पारणं भावे माणे बहु पड़ि पुण्णाई दुवालस बासाई सामण्ण परियागं पाउणइ २ ता मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झासेइ २ त्ता सहि भत्ताइ अणसणाइ छेदेइ छैदेइत्ता आलोइय पडिक्कंते जाव कालं किच्चा सोहम्म कप्पं सोहम्मे वडिसए विमाणे उववाय सभाए देवसयणिज्जा स जीव सक्के देविंदत्ताए उववरणो। ( भगवती १८ उ०३) त० तिवारे. से० ते. क० कार्तिक ७० अंणगारः मु० मुनि सुव्रत अरिहंत ना. त० तथा रूप. थे० स्थविरां रे कने से. सामायकादि चउदह पूर्व नों अध्ययन करी ने. ब. बहुत चतुर्थ भत्ति छठ अठम यावतू. अन आत्मा में भावता थको. ब० बहुत प्रतिपूर्ण. दु. १२ वर्ष रों साधु री पर्याय पाली ने. मास नो संलेखना सं. अ. प्रात्मा ने दुर्वल करी ने. समाठि भात. अ० अनशन. छे छेदे छेदी ने. आलोई ने. जा. यावत. काल मासे काल करी में सो सौधर्म देवलोक में विषे. सौधर्मावतंसक विमान में विषे. उपपात सभा में विषे. दे० देव शव्या ने विषे. दे० देवेन्द्र पणे उत्त्पन्न हुवो। अथ इहां कार्तिक अनगार में पिण "आलोइय पडिक्कते" ए पाठ छेहड़ें कह्यो। एणे किसी लब्धि फोड़ी-जेह नी आलोवणा कही। तथा कप्पबड़ीसिय उपाङ्ग में पद्म अनगार ने पिण "आलोइय पडिकन्ते' पाठ कह्यो। इम धन्नादिक अणगार रे घणे ठिकाणे छेहड़े जाव शब्द में “आलोइय पडिक्कते" पाठ कह्यो छै । तथा उपासक दशा में आनन्द कामदेवादिक श्रावका ने पिण छैहड़े "आलोइय पडिकन्ते" पाठ कह्यो । तिम सुमंगल ने पिण पहिला तो घणा वर्षा चारित्र पाल्यो ते पाठ कह्यो. पछे संथारा नों पाठ कहि छेड़ड़े "मालोइय पडिक्कते" पाठ कह्यो छै। पिण लब्धि फोड़वा रो प्रायश्चित्त चाल्यो नहीं। अनें जो लब्धि
SR No.032041
Book TitleBhram Vidhvansanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya
PublisherIsarchand Bikaner
Publication Year1924
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy