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________________ ४४६ अभिनव प्राकृत-व्याकरण सलिळं 4 सलिलम् - ल के स्थान पर ळ हुआ है । कमळं कमलम् — , 39 ( ८ ) पैशाची श और ष के स्थान स आदेश होता हैं ।' यथासोभति शोभते - श के स्थान पर स हुआ है 1 सोभनं शोभनं " - ससी शशी 39 " विसमो विषमः - मूर्धन्य ष के स्थान पर स हुआ है । विसानो विषाणः " " ( ९ ) पैशाची में हृदय शब्द के यकार के स्थान में पकार हो जाता है । यथाहितपर्क हृदयकम् – द के स्थान पर त और य के स्थान प आदेश होता है । ( १० ) पैशाची में टु के स्थान पर विकल्प से तु आदेश होता है । यथाकुतुम्बकं कुटुंबकं 4 कुटुम्बकम् । " ( ११ ) पैशाची में कही-कहीं र्य, स्न और ष्ट के स्थान में रिय, सिन और सट आदेश होते हैं। यथा < भारिया भार्या - स्वरभक्ति के नियमानुसार र और य का पृथक्करण होकर इत्व हो गया है । सिनातं स्नातम् - कसटं कष्टम् - "" "" " सनानं <स्नानम् – स्वरभक्ति के नियमानुसार स और न का पृथक्करण । सनेहो स्नेह: 39 39 "" "" 33 ( १२ ) पैशाची में यादृश, तादृश आदि के दृ के स्थान पर ति आदेश होता है । यथा या तिसादृशः ह के स्थान पर ति और श को स । तातिसो < तादृश:-- " "" "9 " भवातिलो भवादृशः -- अज्ञातिसो < अन्यादृशः न्य के स्थान पर ञ्ज और ह कोति । युम्हातिसो युष्माश: - ष्म के स्थान पर म्ह और ड के स्थान पर ति । अम्हातिसो अस्मादृशः स्म , "" ( १३ ) पैशाची में शौरसेनी के ज के स्थान में च्च आदेश होता है । यथाकच्चं । कज्जं कार्यम् – शौरसेनी के ज्ज के स्थान पर च । १. श-षोः सः ८।४।३०६ । २. हृदये यस्य पः ८|४|३१०
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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