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________________ ४३२ अभिनव प्राकृत-व्याकरण ति धातुप्रत्यय वर्तमानकाल एकवचन बहुवचन प्र० पु० इ म. पु० सि उ० पु० मि भविष्यत्काल एकवचन बहुवचन प्र० पु० स्सइ, हिह स्सन्ति, हिन्ति म० पु० स्ससि, हिसि स्सह, हिह उ० पु० स्सामि, हामि स्सामो, हामो भूतकाल भूतकाल के सभी पुरुष और सभी वचनों में इंसु प्रत्यय होता है। महाराष्ट्री में इसका अभाव है। विध्यर्थ .. एकवचन बहुवचन प्र० पु० इज, एज, इजा एजा, ए इज, एज इज्जा, एजा, ए म० पु० इज, एज, एजासि इज, एज, एजाह उ० पु० इज्ज, एज, एजामि इज, एज, एजामो आज्ञा एकवचन बहुवचन प्र. पु० उ उन्तु म० पु० हि उ० पु० मि कर्मणि में इज प्रत्यय और प्रेरणा में भावि प्रत्यय जोड़ने के अनन्तर धातु प्रत्यय जोड़ने से कर्मणि और प्रेरणा के रूप होते हैं । गच्छ--गमन करना वर्तमान एकवचन बहुवचन प्र० पु० गच्छद गच्छन्ति म० पु० गच्छसि गच्छह उ० पु० गच्छामि गच्छामो
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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