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________________ अभिनव प्राकृत व्याकरण (२१) मागधी में व्रज धातु के जकार को अ आदेश होता है । यथादिति । ૪૦૬ ( २२ ) प्रेक्ष और आचक्ष धातु के अ के स्थान पर एक आदेश होता है । यथा'पेस्कदि प्रेक्षते, आचस्कदि < आचक्षते । ( २३ ) मागधी में स्था धातु के तिष्ठ के स्थान पर चिष्ट आदेश होता है । यथाचिष्ठदि तिष्ठति । मतान्तर से प्राकृत के समान चिट्ठ भी आदेश होता है । हशधातु - वर्तमान प्र० पु० एकवचन दशदि, हशेदि म० पु० शशि, हशशे, हशेज्ज उ० पु० हशामि, हशमि, हशेमि, हज्ज एकवचन प्र० पु० भणिस्सिदि, भणेस्सिदि भणिस्सिदे, भणेस्सिदे माशे दमाषः विलाशे विलासः यावदे जायते परिचये परिचय: गहिदच्छले << गृहीच्छलः वियले 4 विजल : णिज्भले निर्भरः बहुवचन हडके 4 हृदयः अल्ले 4 आदरः कये कार्यम् कारिदाणि कृत्वा गडे गतः हति, ह हत्था, दशध, दशेध हशमो, हामो, हशिमो, हशेमो, हशम भविष्यत्काल—भण बहुवचन भणिरिति, भणेस्थिति, भणिस्सिते भणिस्सिते, भणेस्सिले, भणेस्सिइले भणिसिह, भणेस्सिह म० पु० भणिस्सिशि भणेस्सिशि भणिसिशे, भगेस्सिशे भणिधि, भणेस्धि, भणिस्सिइत्था उ० पु० भणिस्सं भणेस्सं भणेस्सिमि भणिस्सिमो भणेस्सिमो भणिस्लिम, भणेस्सिमु शेष सभी धातुरूप और कृदन्त रूप शौरसेनी के समान मागधी में होते हैं । मागधी के कतिपय विशेष शब्द दुर्जनः दुय्य लस्कशे << राक्षसः दक्के < दक्षः हक्के, अहके, हगे अहम् शिलाआएष राजा हशिदु, हशिदि, हशिद हसित: पुलिशे पुरुष: चिष्ठदितिष्ठति कडे <कृत: मडे मृतः हशमु, सहिदाणि <सोवा शिआले, शिआलके < शृगालः
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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