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अभिनव प्राकृत व्याकरण
( २० ) हस्व अकारान्त शब्द के अन्तिम अकार को सम्बुद्धि पर रहते दीर्घ होता
है । यथा
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पुलिशा आगच्छ
माशा आगच्छ हे मानुष आगच्छ
पढमा
बीआ
तइआ
पंचमी
सप्तमी
पढमा
बीआ
तइया
चउत्थी
पंचमी
थी, छट्टी ६, स
छट्टी
समी
संबो
एकवचन
ए
•
अनुस्वार
ण णं
पुरुष आगच्छ – सम्बोधन होने से अकार को दीर्घ ।
एकवचन
वीले
वीलं
आदो, आदु
सि, म्मि
वीण, वीले
वीलाह, वीलस्स
वीलादो, वीलादु
वीलाह, वीस
वीलंस, वीलम्मि
हे वी
एकवचन
शब्वे
शव्वं
विभक्तिचिह्न
क्षा
अ
हि, हिं, हि
,, vi
तो, ओ, उ, हि, हिन्तो, शुंतो
शु, शं
वील - वीर शब्द के रूप
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पढमा
वीआ
१. प्रदीर्घः सम्बुद्धौ ११।१३ व० ।
बहुवचन
बहुवचन
वीला
वीला
वलेहि, वीलेहिं, वीले हि®
वीला, वीलाण, वीलाणं वीलतो, वीलओ, वीलउ, बीलाहिन्तो,
बीलाशुन्तो
अन्य अकारान्त शब्दों के रूप भी वील शब्द के समान होते हैं ।
नपुंसक लिङ्ग में शौरसेनी के समान ही शब्दरूप बनते हैं ।
सर्वनामवाची शब्द मागधी में वील वीर के समान होगें । यहाँ उदाहरण के
लिए कुछ शब्द रूप प्रस्तुत किये जाते हैं।
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शब्द सर्व के शब्दरूप
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वीला, वीलाण, वीलाणं
वीलेशु, वीले
हेवीला
शव्वा
शव्वा
बहुवचन