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________________ अभिनव प्राकृत-व्याकरण ३४९ उवनिक्खेव उपनि + क्षेपय धरोहर रखना उवरंज उप + रज ग्रस्त करना उवरम उप+रम् निवृत्त होना, विरत होना उवरंध उप + रुध अटकाव करना, रोकना उवलंभ उप + लम प्राप्त करना, उलाहना देना उवलक्ख उप + लक्ष्य जानना, पहिचानना उवला उप +ला ग्रहण करना उवलोभ उप + लोभय लालच देना उवल्लि उप +ली रहना . उवबूह उप +बूंह पुष्ट करना, प्रशंसा करना उवसंघर उपसंह उपसंहार करना उवसप्प उप + स्प समीप में जाना उवसम, उवसाम उप + Vशम्, +शामय् क्रोध रहित होना, शान्त होना; शान्त करना उक्सोभ उप + शुभ शोभना, विराजना, शोभित होना उवहत्थ बनाना, रचना करना उवहर उप +ह पूजा करना, उपस्थित करना उवहुंज उप + Vभुज उपभोग करना, कार्य में लगना उवाइण, उवादा उपा + दा ग्रहण करना उवाय उव+Vयाच मनौती मनाना उवालह उपा+Vलभ उलाहना देना उवास उप + आस उपासना करना उव्वम उद् + Vवम् वमन करना, उल्टी करना उव्वर उद् + Na शेष रहना, बच जाना उव्वल उद् + Vवल उपलेपन करना उव्वह उप + Vवह धारण करना, उठाना उव्विय, उव्विव उद् + विज उद्वेग करना, उदासीन होना उव्विल्ल उद् + विल , प्र+ चलना, कांपना; फैलना, पसरना उठवील अव + पीडय पीड़ा पहुँचाना उस्सक उत् + वषक उत्कंठित होना उस्सर, ऊसर उत् + स् हटना, दूर जाना उस्सस, ऊसस उत् + Vवस् ... उच्छवास लेना, ऊँचा श्वास लेना उस्सिच उत् + सिच् . सींचना, सेक करना उस्सिक मच ..... छोड़ना, त्याग करना
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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