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________________ अभिनव प्राकृत-व्याकरण उण्णम, उण्णाम उदू + नम् ऊँचा होना, उन्नत होना; ऊँचा करना उण्णी उद् + Vनी ऊँचा ले जाना उत्तम्म उत् + तय खिन्न होना, उद्विग्न होना उत्तर उत् +तृ बाहर निकालना, उतरना उत्तस उत् + त्रस् त्रास देना, पीड़ा देना उत्ताड उत् + Vताडय ताड़ना, ताड़न करना उत् +तुदू पीड़ा करना, परेशान करना उत्थंघ उद्+Vनमय , रुध् ऊँचा करना, उन्नत करना; रोकना उत्थर, उत्थार आ + क्रम्, अव + स्तृ आक्रमण करना, दबाना, आच्छादन करना उत्तय उद्दा उत्थल्ल उत् + शल उछलना, कूदना उदाहर उदा+ह दृष्टान्त देना उदि उद्+VE उन्नत होना उदीर उद्+Vईरय प्रेरणा करना उद्+ दा बनाना, निर्माण करना उद्दाल आ + छिद् खींच लेना, हाथ से छीनना उद्दिस उद् + दिश् नाम निर्देश पूर्वक वस्तु का निरूपण करना उइंस उदू + Vष , उद् + Vध्वंस् मारना, गाली देना; विनाश करना उद्धम उद्+हिन् उड़ाना, वायु से भरना, शंख फूंकना उदू +ह फंसे हुए को निकालना उधूल उद् + Vधूलय व्याप्त करना उन्नंद उद् + नन्दू अभिनन्दन करना उप्पज्ज उत् + पद् उत्पन्न होना उप्पय, उप्पड, उत् + (पत् उड़ना, ऊँचा जाना, कूदनाः उखाड़ना उप्पाड उप्पण उत् + पू फटकना, साफ करना उप्पिय उत् + पा आस्वादन करना उप्पील उत् + पीडय - कसकर बांधना उपेक्ख उत् प्र + Vईक्ष .. सम्भावना करना, कल्पना करना उप्पेल. .... - उद्+निमय ऊँचा करना, उन्नत करना उद्धर
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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