________________
२६५
अभिनव प्राकृत-व्याकरण (१६ ) अकारान्त धातुओं के अतिरिक्त शेष स्वरान्त धातुओं में अ विकरण विकल्प से जुड़ता है । यथा
पा+ अ-पाअ, पाअ + इ = पाअइ; पा + इ = पाइ<पाति जा + अ-जाअ, जाअ + इ = जाअइ3; जा + इ =जाइ<याति धा + अ-धाअ, धाअ +इ = धाअइ; धा+इ = धाइ <धयति, धावति, दधाति झा + अ-माअ, झाअ + इ = झाअइ; झा + इ = झाइ< ध्यायति जंभा + अ-जंभाअ, जंभाअ + इ = जंभाअइ; जंभा + इ = जंभाइ< जम्भते वा + अ-वाअ, वाअ + इ + वाअइ; वा + इ = वाइ < वाति मिला + अ-मिलाअ, मिलाअ + इ = मिलाअइ; मिला + इ = मिलाइ<म्लायति विक्की-विक + अ-विक्केअ, विक्के + इ = विकेअइ; विक्के + इ = विक्कर
विक्रीणाति हो + अ-होअ, होअ + इ = होअइ, हो + इ = होइ< भवति
(१७ ) उकारान्त धातुओं में उ के स्थान पर उव आदेश होने के अनन्तर अ विकरण जोड़ा जाता है। यथा
ण्हु-हव + अ-हव + इ = ण्हवइ ८ हते नि + ण्हु-निण्हव् + अ = निण्हव+इ = निण्हवइ ८ निद्भुते हु-हव् , हव् + अ-हव + इ = हवइ< जुहोति चु-चव , चव + अ = चव + इ = चवहरच्यवते रु-रव-रव + अ = स्व + इ = रखइदरौति कु-कव , कव + अ =कव + इ = कवइ< कौति सू-सत् + अ = सव + इ = सवइ< सूते; पवसइ< प्रसूते
( १८ ) ऋकारान्त धातुओं में ऋ के स्थान पर अर हो जाने के अनन्तर अ विकरण जोड़ा जाता है । यथा
कृ-कर , कर + अ = कर, कर + इ = करइ करोति धृ-धर., धर + अ = धर + इ = =धरइ<धरति मृ-मर , मर + अ = मर + इ = मरइ< म्रियते वृ-वर , वर + अ = वर + इ = वरइ-वृणोति, वृणुते सु-सर , सर + अ = सर + 5 = सरहदसरति ह-हर , हर + अ = हर + इ = हरहदहरति तृ-तर , तर + अ = तर + इ = तरह-तरति ..
( १९ ) उपान्त्य ऋ वर्णवाली धातुओं में प्रकार के स्थान पर अरि आदेश होता है, पश्चात अविकरण जोड़ा जाता है। यथा
rice IP)