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________________ अभिनव प्राकृत व्याकरण १८९ एकवचन तडिआ, तडि ( तडित् ) एकवचन __ बहुवचन प०-तडिआ तडिआओ, तडिआउ, तडिआ 'तडिआ' शब्द के शेष रूप माला के समान होते हैं। तडि बहुवचन प०-तडी तडीओ, तडीउ, तडी वी०-तर्डि तडीओ, तडीउ, तडी त०-तडीअ, तडीआ, तडीइ, तडीए -तडीहि-हि-हि च०-तडीअ, तडीआ, तडीह, तडीए तडीण, तठीणं प०-तडीअ, तडीआ, तडीइ, तडीए तडीओ, तडीउ, तडीहिन्तो, तडीसुन्तो छ०-तडीअ, तडीआ, तडीइ, तडीए तडीण. तडीणं स-तडीअ, तडीआ, तडीइ, तडीए तडीसु तडीसं सं०-हे तडि, तडी ___तडीओ, तडीउ तडी पाडिवआ, पडिवआ (प्रतिपद् ) एकवचन बहुवचन प०-पाडिवआ पाडिवाओ पाडिवआउ, पाडिवा ब-पडिवआ पडिवआओ, पडिवआउ, पडिवा शेष रूप कम्मा के समान होते हैं । संपया ( संपद् ) एकवचन बहुवचन प०-संपया संपयाओं, संपयाउ, संपया शेष रूप कम्मा के समान हैं क्षुहा (क्षुध ) बहुवचन प०-छुहा छुहाओ, छुहाउ, छुहा वी०-छुहं छुहाओ, छुहाउ, छुहा . शेष रूप कम्मा के समान होते है। एमवचन - -
SR No.032038
Book TitleAbhinav Prakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN C Shastri
PublisherTara Publications
Publication Year1963
Total Pages566
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size28 MB
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