________________
छ
१८८
अभिनव प्राकृत-व्याकरण ५०-हसईअ, हसईमा, हसईइ, हसईए, हसइत्तो, हसईओ, हसईउ, इसईहिन्तो,
हसइत्तो, हसईओ, हसईउ, हसईसुन्तो; हसन्तित्तो, हसन्तीओ, हसहसई हिन्तो;हसन्तीअ,हसन्तीआ, न्तीउ, हसन्तीहिन्तो, हसन्तीसुन्तो; हसहसन्तइ, हसन्तीए, हसन्तित्तो, माणित्तो, हसमाणीओ, हसमाणीउ, हसहसन्तीओ, हसन्तीउ, हसन्ती- माणीहिन्तो, हसमाणीसुन्तो हिन्तो; इसमाणीअ, हसमाणीआ हसमाणीइ, हसमाणीए, हसमाणित्तो, हसमाणिओ, हसमाणिउ, हसमाणीहिन्तो -हसईअ, इसईआ, हसईइ, हसईण, हसईणं; हसन्तीण, हसन्तीणं; हसईए; हसन्तीअ, हसन्तीआ, हसमाणीण, समाणीणं, हसन्तीइ, हसन्तीए, हसमाणीअ, हसमाणीआ,
हसमाणीइ, हसमाणीए स०-हसईअ, हसईआ, हसईइ, हसईसु, हसईसुं, हसन्तीसु, हसन्तीसु
हसईए; हसन्तीअ, हसन्तीआ, हसमाणीसु, हसमाणीसु, हसमाणीसं हसन्तीइ, हसन्तीए; हसमाणीअ, हसमाणिआ, हसमाणीइ,
हसमाणीए सं० हे हसह; हे हसन्ति; हे हसमाणि हे हसईआ, हसईउ, हसइओ, हसइ हे
हसन्तीआ, हसन्तीउ, हसन्तीओ, हसन्ती, हे हसमाणिया, हसमाणीउ, हसमाणीओ,
हसमाणी
भगवई (भगवती) एकवचन
बहुवचन प०-भगवई, भगवईआ भगवईआ, भगवईउ, भगवईओ, भगवई
शेष रूप लच्छी के समान होते हैं।
सरिआ ( सरित) एकवचन
- बहुवचन प०-सरिआ
सरिआओ, सरिआउ, सरिआ शेष शब्दरूप माला के समान होते हैं।