________________
अभिनव प्राकृत-व्याकरण
१४५
(१५) आर्य और क्षत्रिय शब्दों से ई प्रत्यय और आन का आगम विकल्प से होता है । यथा
अय्या - अय्याणी, खत्तिया - खत्तिआणी ।
( १६ ) बहुब्रीहि समास होने पर अवयववाचक शब्द के उत्तर में विकल्प से ई प्रत्यय होता है । यथा—
चन्दमुही - चन्दमुहा, सुएसा -सुएसी, तंबणहा तंबनही |
( १७ ) नखान्त और मुखान्त शब्दों से प्राकृत में विकल्प से ई होता है । यथावज्जणा - वाजणही, गोरमुहा— गोरमुद्दी, कालमुहा— कालमुद्दी ।
( १८ ) जिन शब्दों के उत्तरपद में पाक, कर्ण, पर्ण, पुष्प, फल, मूल हों, उन शब्दों से स्त्रीलिङ्ग बनाने के लिए ई प्रत्यय होता है । यथा
अण्णी; सालवण्णी; संखपुप्फी, दामीहली, दब्भमूली, गोवाली ।
( १९ ) नासिका, उदर, ओष्ठ, जंघा, दन्त, कर्ण और शृंग शब्दों से विकल्प से ई प्रत्यय होता है । यथा
तुंगनासिआ, तुंगनासिई, दोहोअरा, दोहोअरी, ।
पुल्लिङ्ग
राया राजा विउसो विद्वान्
माणुसो मनुष्यः माउलो < मातुलः
मच्छो मत्स्यः गिहवइ गृहपतिः अहिवइ अधिपतिः
तुअ तुदन्
सहा सखा
मुण मुनि:
साहु साधुः
कतिपय अध्ययनीय शब्द
स्त्रीलिङ्ग
राणी रानी
विउसी विदुषी
माणुसीदमानुषी
माउली माउलाणी < मातुलानी
"
मच्छीमत्सी
जुवा युवा
सुएसो सुकेश: धीवरोधोवरः
सुद्दो शूद्रः
१०
गिवण्णी गृहपत्नी
K
अहिवण्णी अधिपत्नी तुती तुदन्ती सही सखी
और वाल
मुणीमुनिः
साहू साधुः
जुई युवती
सुएसी, सुरसाद सुकेशी, सुकेशा
धीवरी धीवरी
सुद्दा, सुद्दी शूद्रा, शूद्री