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________________ २२ 3 २५ स्तोत्र विन उहाडामास विधजनरितादेवि देवेन्द्रवन्धे।--------------- चचच्चन्द्रावदातासपिलमलिमतले हारनीरारगौरे ।। तीने भीमादृशसेभिवभयहरणे! मेरा भैरवेश! ॐ शॉही;कारनादे । नम मनसि सदा शारदे ! देरि लुष्टिम् ।।।। "इत्थंभक्तिभरण मइ.तुमयकानोला रखते: पातौ तत्तत्पाठवता करोत् सुलर विद्यामिमां भारनी। विदन्दमनीषिदानविजयाशंसा यसापूरि च--- वाचालेककया कथइकधिकता यस्या निसर्गः फ फळमारप-----श्रीमालयकीर्तिमुनी परपिरधिता ----- श्रीशारदारतोत्रम् ।। ..----- जननमृत्युगक्षयकारणे, सकलदुर्गयजाध्यनिधारणम्। -- विगतपारभवाम्लपितारणं,समयसारमरं परिप्रजयोशा---'. जलपिनन्दनचन्दनचन्द्रमा-सदृशमूर्तिरियं परमेश्वरी। निखिलजाध्यकरोग्रकुठारिका, दिशतु मेऽमितानि सरस्वती ॥२॥ विशदपशविरङ्गमगामिनी, पिशदपक्षगाइमरोज्ज्यला। विशदपअषिनेयजनाधिता, दिशतु मेऽभिमतानि सरस्वती वरदक्षिणबाधतालका, पिशवामकरार्पित पुस्तिका। उभयपाणिपयोजनाम्धुजा, दिशतु मेभिमतानि सरस्वतीला मुकुटरत्नमरीचिमिश्गै -पति या परमां गतिमात्मनि।------- भषसमुद्रतरीतुनणां सदा, दिशतु मेऽभिमतानि सरस्थती ॥५/परमरंसरिमाचलनिर्गता, सकलपातकपकविवर्जिता। अमृतबोधपया परिपूरिता, दिशतु मेऽभिमतानि सरस्वती ॥६॥ --- परमरंसनिपासमुपला, कमलयाकृतिपासमनोत्तमाः।----- बरतिया वदनाम्बुरुहं सदा, दिशतु मेमिनतानि सरस्वती पणासकलवायमूर्तिधरा परा, सकलसस्वरितैकपरायणा सकलनारदतुम्युझसेविता, दिशतु मे ऽभिततानि सरस्वतीमाता"मलयचन्दनचन्द्ररजाकण-प्रकरशुभदुकूलपटाहता विशदरंसकारविभूषिता, दिशतु मेभिरतानि सरस्वती ॥१॥ मलयकीतिकृतामपि संस्तुति, पठति यासततं मतिमान् नरः। विजयकीर्तिगिरोः कृतिमादरात सुमतिकल्पलताफलमश्नुते *ल.५ र..परशा ,
SR No.032031
Book TitleSarasvatina Bhinna Bhinna Swarupo
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages124
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size16 MB
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