SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 91
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 2) गोवि रशतनुरिति यन्नु व्यग्रैरुवर्तुमुग्रा मरगिरि गुरु कलरंगांधु गंगो ! सर्गासंगविनेशा जगतिगुणमयि स्वार्णवगरण ग्रात्रा। दद्यात्सा गौर गव्यं सह गवि सुगजै: गौ गएां सद्‌मुले व‌ाणां दविधिहरिहरयः सर्वदों पासते यां सावित्रीत्यन्तरासे कमल सुहृदियां भारती त्येस्त में गेयां । शोणं शुम्रां सुनिलांशिश्रुतरुए जरा योगयुक्ता निसंध्ये त्युक्ता सा तीर्थसार्थ प्रथितमुनमिता शारदा सावता. द्वः ॥ शा गायिंबीत्युपद के विधिहरिहरयः स (ज) भूतसृग् लोकपाला भृगुमुखषयों पातव सप्त चाष्ट. स्थानान्पालीवसूनां करएए गएजम् ग्राम एमिः प्रपूर्णम्। मध्ये नाडीसूरियां शशिम निजपदं प्राप्यदिपांकुरामा स्थानिं (नीं) संभूषयन्ति दिशतुशुम मरं भारती सा परा वः ॥ ६॥
SR No.032031
Book TitleSarasvatina Bhinna Bhinna Swarupo
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages124
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy