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________________ ग्रीक और रोमन पौराणिक कथा में सरस्वती की समकक्ष देवियाँ ७६ रोमन देवी मिनर्वा भी सरस्वती की भाँति दो रूपों में हमारे सम्मुख आती है । वह एक रूप से सायुध मिनर्वा (armed Minerva) तथा दूसरे से निस्सस्त्र (unarmed Minerva) कहलाती है।" सायुध मिनर्वा सरस्वती की भाँति अनेक कार्यों को करती है, परन्तु अपने कोमल रूप से वह अक्षरों (शब्दों) की संरक्षिका है, जो कवित्वपूर्ण कार्य के लिए आवश्यक हैं ।१२ अपने कोमल स्वभाव से मिनर्वा कलाओं और स्मृति की संरक्षिका है । सरस्वती अपने सौम्य रूप से विद्या, सङ्गीत, कविता, इतिहास, कला, आदि की संरक्षिका है । सायुध मिनर्वा को युद्ध की देवी माना गया है । वह इस रूप में चमकता हुआ कवच, विषैला फावड़ा और अपने जन्म से ही संरक्षक शस्त्र को धारण करती है । ५ २. सरस्वती और ग्रीक म्युजेज : ___सरस्वती और ग्रीक म्युजेज के व्यक्तित्व में अपेक्षाकृप अधिक समानताएँ हैं । सरस्वती वैदिकेतर पौराणिक कथा में उन सभी विद्याओं का प्रतिनिधित्व करती है, जो बुद्धिमत्ता और वक्तृत्व-शक्ति से उत्पन्न होती हैं। इतना ही नहीं, अपितु वह बुद्धिमत्ता एवं वक्तृत्व-शक्ति की देवी मानी जाती हैं। फलतः तदर्थ एक 'म्यूज़' के रूप में उस का बारम्बार आवाहन हुआ है । भारतीय विद्या-सम्बन्धी विचार-धारा ग्रीक पौराणिक कथा में भी पाई जाती है। वहाँ इन भारतीय विद्या' अथवा 'गोप्या' को 'म्यूज़' की संज्ञा दी गई है । सरस्वती तथा ग्रीक म्यूजेज की तुलना करने के पूर्व यह अपेक्षित जान पड़ता है कि सर्वप्रथम हम प्राचीन साहित्य में सरस्वती की म्यूज़सम्बन्धी कल्पना को भली-भाँती जान लें। 'म्यूज़' का अर्थ काव्य, सङ्गीत आदि कलाओं की देवी है । सरस्वती के साथ इस प्रकार की परिकल्पना अति प्राचीन काल से जुड़ी है, अत एव इस का एक स्पष्ट आकलन अत्यन्त आवश्यक है। ३. ऋग्वेद तथा म्यूज़-परिकल्पना : यह सर्वज्ञात है कि ऋग्वेद पौराणिक काव्य-शैली में लिखित है। यह आज जैसा काव्य नहीं है, परन्तु इस के अध्ययन से ऋचा से हटकर काव्य की कुछ झलकियाँ उपलब्ध होती हैं। ऋग्वेद में स्थूल शरीरिणी देवियों के अतिरिक्त कुछ ऐसी ११. तु० एच० ए० गर्बर, दि मिथ्स ऑफ ग्रीस एण्ड रोम (लण्डन), पृ० ३६-४३ १२. ए० आर० होप मानकिफ, क्लासिक मिथ एण्ड लेजेण्ड (लण्डन), पृ० ३८ १३. चेम्बर्स इन्साइक्लोपीडिया, भाग ६, पृ० ४२७ १४. एच० ए० गर्बर, पूर्वोद्धृत ग्रंथ, पृ० ३६ १५. ए० आर० होप मानकिफ, पूर्वोद्धृत ग्रंथ, पृ० ३७ १६. जेम्स हेस्टिङ्गस, इन्साइक्लोपीडिया ऑफ रीलीजन एण्ड एथिक्स (न्यूयार्क, १६५४), पृ० १६६ १७. चार्ल्स कालेमन, पूर्वोद्धृत ग्रंथ, पृ० १०
SR No.032028
Book TitleSanskrit Sahitya Me Sarasvati Ki Katipay Zankiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuhammad Israil Khan
PublisherCrisent Publishing House
Publication Year1985
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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