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________________ संस्कृत-साहित्य में सरस्वती की कतिपय झाँकियाँ हम ने पहले यह देखा है कि सरस्वती नदी-रूप में भी 'ब्रह्मपुत्री' कही गई है। ब्रह्मा का इसके प्रति अगाध स्नेह था। उसके स्नेहाधिक्य का स्पष्टीकरण एक लघु दृष्टान्त से किया जा सकता है । एक बार ब्रह्मा मरीचि आदि ऋषियों के साथ कर्मद के उस आश्रम का दर्शन किया, जो सरस्वती के द्वारा चतुर्दिशालिङ्गित था। भागवतपुराण में सरस्वती के किनारे स्थित अनेक पवित्र स्थानों तथा तीर्थों के प्रसङ्ग आते हैं, जो उसकी पवित्रता की अभिव्यक्ति करते हैं । एक प्रसंग के अनुसार इसी सरस्वती के किनारे देवों एवं असुरों के बीच एक घमासान युद्ध हुआ था, जबकि विष्णु ने दिति की सन्तान का समूल नाश कर दिया, अत एव दिति सरस्वती तीरस्थ 'स्यमन्तपञ्चक' नामक स्थान पर जाकर अपने पति की आराधना करते हुए दीर्घकालीन तपस्या की। मत्स्यपुराण के अध्याय २२ में 'श्राद्ध' के निमित अनेक तीर्थों का वर्णन मिलता है, जिनमें पितृतीर्थ, नीलकुण्ड, रुद्रसरोवर, मानसरोवर, मन्दाकिनी, अच्छोदा, विपाशा, सरस्वती आदि विशेष उल्लेखनीय हैं। देवमाता के लिए सरस्वती की पवित्रता अपने किनारे 'पारावार' पर बताई गई है। पुराणों का कथन है कि भगवान् त्रिपुरारि ने अपने रथ में गङ्गा, सिन्धु, शतद्रु, चन्द्रभागा, इरावती, वितस्ता, विपाशा, यमुना, गण्डकी, सरस्वती, देविका तथा सरयू को बाँस-रूप से प्रयुक्त किया था। यहाँ सम्भवतः नदियों की दैवी साहाय्य की ओर सङ्केत जान पड़ता है। ३. सरस्वती के कतिपय पौराणिक विशेषण वेदों की भाँति पुराणों ने सरस्वती को विविध उपाधियों से अलङ कृत किया है। यदि यों कहा जाय कि पुराणों ने वेदों से बहुत सी सामग्री उधार ली हैं, तो अनुचित नहीं होगा। यह बात 'पुराणागत वेदविषयक सामग्रियों के स्वतन्त्र अनुसंधान-विषयक सामग्रियों से प्रामाणिक रूप से सिद्ध हो चुकी है । अस्तु, वैदिक उपाधियों की भाँति पौराणिक उपाधियाँ भी सारगर्भित एवं साभिप्राय हैं । प्रकृत में सरस्वती की कतिपय नदीभूत पौराणिक उपाधियों का संक्षिप्त विवेचन किया गया है। पुराणों में नदियों का सामान्य रूप से 'शिवा,' 'पुण्या', 'शिवजला' आदि नामों के आह्वाहन किया गया है । यह सम्बोधन उनके गुण-विशेष का बोधक है । गुण-विशेष का मुख्य अभिप्राय उनके परोपकार एवं दया-भाव से है। नदियों का बहना एवं १. वही, ३।३४६ २. मत्स्यपुराण, ७।२-३ ३. वही, २२।२२-२३ ४. वही, १३।४४ ५. वही, १३३।२३-२४ ६. तु० डॉ० रामशंकर भट्टाचार्य, इतिहास पुराण का अनुशीलन (वाराणसी, १९६३), पृ० २१६
SR No.032028
Book TitleSanskrit Sahitya Me Sarasvati Ki Katipay Zankiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuhammad Israil Khan
PublisherCrisent Publishing House
Publication Year1985
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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