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________________ संस्कृत-साहित्य में सरस्वती की कतिपय झाँकियाँ सायण इसका अर्थ 'गायत्र्यादीनि सप्त छन्दांसि स्वसारो यस्यास्तादशी नदीरूपायास्तु गङ्गाद्याः सप्तनद्यः स्वसारः' करते हैं। श्रीमाधव गङ्गादि सात बहनों में इसका तात्पर्य मानते हैं । ग्रीफिथ इसे 'सात बहनों वाली' तथा विल्सन सात बहनों का अर्थ सात छंद तथा सात नदी करते हैं। प्रश्न यह है कि उस समय तो देश में अगणित नदियाँ थीं, सात नदियों का अर्थ किन में गम्य है ? ऋग्वेद के अध्ययन से स्पष्ट है कि उन नदियों में भारत की उत्तरी भाग की नदियों का वर्णन मुक्त कण्ठ से हुआ है । यह भाग भारत का सदैव से 'शीर्ष' रहा है । इसी भाग से संबंध रखने वाली नदियों में सरस्वती का स्तवन बहुत बढ़ कर हुआ है । डाउसन" ने इन सात नदियों के नाम इस प्रकार गिनाए हैं : १. गंगा (गैजेज) २. यमुना (जमुना) ३ सरस्वती (सरसूति) ४. सुतुद्री (सतलज) ५. परुष्णी ६. मरुद्वधा ७. आजिकीया (विपासा, हिफैसिस व्यास) श्री अभयदेव इन नदियों की कल्पना पार्थिव रूप में करते हैं । इन्हीं नदियों के समान स्वर्ग लोक की भी गङ्गा आदि सात नदियाँ हैं, जिन्हें वे निम्नरूप से प्रस्तुत करना चाहते हैं : १ आनंद की धारा २. सत्ता की धारा ३. चैतन्य की धारा ४. विस्तार और सुषोम से युक्त ऋजुगामिनी सत्य की धारा ५. मनु को धारा ६. निम्नकृष्णवर्णधारा से युक्त वायु से बढ़ने वाली प्राण-धारा ७. अन्नमय पर्ववती स्थूल धारा श्री अरविद सात नदियों का तात्पर्य जीवन के सप्तधा जलों के रूप में स्वीकार करते हैं । उनके एतदर्थ विचार उन्हीं के जटिल दार्शनिक शब्दों में निम्नलिखित रूप में उद्धृत किए जा सकते हैं-- ११. डाउसन, हिंदू क्लासिकल डिक्शनरी, (ब्राडवे हाउस लंदन, १६१४), पृ० २८१ १२. श्री अभयदेव, 'सरस्वती देवी एवं नदी', वेदवाणी अमृतसर, वर्ष १० अङ्क ७, पृ० १३
SR No.032028
Book TitleSanskrit Sahitya Me Sarasvati Ki Katipay Zankiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuhammad Israil Khan
PublisherCrisent Publishing House
Publication Year1985
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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