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________________ संस्कृत-साहित्य में सरस्वती का विकास तथा युद्ध की देवी माना गया है । सरस्वती भी सभी कलाओं (Arts) की देवी मानी जाती है। यह स्मृति (बुद्धि आदि) की देवी भी है। इसके अतिरिक्त काली (चण्डी) प्रमुख रूप से एक स्त्री के रूप से युद्ध की देवी मानी जाती है, परन्तु वेदों में सरस्वती के सौम्य तथा असौम्य दो रूप पाये जाते हैं। वह अपने असौम्य रूप से अनेक भयङ्कर कार्य करती है । ऐसे कार्यों में वृत्र-हनन तथा इन्द्र-साहाय्य प्रमुख हैं । इस प्रकार सरस्वती 'मिनर्वा' के समकक्ष आ आती है । सरस्वती का ग्रीक म्युज़ेज के साथ पर्याप्त साम्य दिखाई देता है । ऋग्वेद में स्वतः म्यूज़ की धारणा निहित है। इस सम्बन्ध में ऋग्वेद में सुनता, सूर्या आदि का नाम लिया जा सकता है । ऋग्वेद में सूर्या सर्वप्रथम कविता की देवी मानी जाती थी, परन्तु बाद में उसका कविता से तादात्म्य स्थापित हो गया तथा सरस्वती कविता की देवी बन गई । ग्रीक की नौ म्यूजेज इस प्रकार हैं-(1) Clio) (2) Etcrpe, (3) Thalia, (4) Melpomene, (5) Tersichore, (6) Erato, (7) Polymnia, (8) Urania, (9) Calliope. सूनृता, वार्कार्या, सूर्या, ससर्परी, ब्राह्मी, भारती आदि इन म्युजेज के समकक्ष हैं । इस प्रकार यह अध्ययन अत्यन्त रोचक है ।
SR No.032028
Book TitleSanskrit Sahitya Me Sarasvati Ki Katipay Zankiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuhammad Israil Khan
PublisherCrisent Publishing House
Publication Year1985
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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