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________________ -१५मूर्ति-व्याख्या प्लेट १ : शिर-रहित सरस्वती की प्रतिमा है, जिसमें शक सम्वत् ५४ (१३२ ई०) अङ्कित है। यह सम्भवतः सर्वप्रथम सरस्वती की प्रतिमा है, जो कङ्काली टीला, मथुरा से प्राप्त है। इस का दक्षिण हाथ अभय मुद्रा में है तथा वाम हाथ एक पुस्तक को धारण करता है। मूर्ति का आधार सूचित करता है कि यह मूर्ति सीह के पुत्र स्मिथ गोआ की उपहार है । प्लेट २ : जीवधारी नदी-देवता सरस्वती की प्रतिमा है। यह त्रिभङ्ग-मुद्रा में पत्तों के गुच्छों तथा लता के मध्य एक कमल पर खड़ी है। यह पतली एवं लम्बी मूर्ति जीवधारी दो अन्य नदी-देवता गङ्गा और यमुना के साथ दक्षिण भारत के एलोरा के विशाल कैलाश मन्दिर में खुदी हुई है। सरस्वती की यह मूर्ति बैठी हुई स्थिति में है। इस के ऊपरी दो हाथों में अक्षमाला तथा पुस्तक हैं। नीचे के दोनों हाथों से वीणा बजा रही है । सुहानियाँ से प्राप्त मूर्ति का सम्बन्ध गुरजर-प्रतिहार काल हवीं शताब्दी से है । इस समय यह केन्द्रीय पुरातत्त्व-सम्बन्धी संग्रहालय, ग्वालियर में सुरक्षित है। प्लेट ४ : सरस्वती की सम्पूर्ण अङ्गों सहित यह मूर्ति त्रिभङ्ग मुद्रा में खड़ी है। यह विद्या-मन्दिर की अठिष्ठातृ-देवी है, जिसे राजा भोज ने स्थापित किया था । राजा भोज धारा के परमार वंश के एक महान् प्रतापी राजा थे। मूर्ति के आधार पर लिखित आलेख बताता है कि यह प्रतिमा मूर्तिकार मन्थल द्वारा १०३४ में बनाई गई थी। इस समय यह ब्रिटिश संग्रहालय, लण्डन में प्रदर्शित है। प्लेट ५ : सरस्वती की यह प्रतिमा कमल पर ललितासन में है। यह अपने ऊपरी दोनों हाथों में अक्षमाला तथा पुस्तक धारण किए हुए है। नीचे का दाहिना हाथ वरद-मुद्रा में है तथा उस का दूसरा समकक्ष हाथ सम्भवतः एक कमण्डलु को धारण करता है । यह जटा-मुकुट तथा दूसरे आभूषणों को धारण करती है। प्जेट ६ : यह प्रतिमा त्रिभङ्ग मुद्रा में पूर्ण विकसित कमल पर खड़ी है । यह अक्ष माला, कमल, ताड़-पत्र-पुस्तक तथा कमण्डलु को धारण किए हुए है।
SR No.032028
Book TitleSanskrit Sahitya Me Sarasvati Ki Katipay Zankiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuhammad Israil Khan
PublisherCrisent Publishing House
Publication Year1985
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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