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________________ ऋग्वेद में देवियों का त्रिक् ६५ rites ) किया है । धीः धर्मनिष्ठा अथवा भक्ति की देवी प्रतीत होती है और यह सरस्वती के साथ उसी प्रकार सम्बद्ध है, जिस प्रकार पुरन्धी है, जो पूजकों के वचनों को सुनने के लिए प्रार्थित है ।" ऋग्वेद में ग्नाः के साथ सरस्वती का घनिष्ठ सम्बन्ध है, क्योंकि वह उन में से एक है । इस के अतिरिक्त ऋग्वेद के एक मंत्र ( ५.४६.२ ) में ना का वर्णन अग्नि, इन्द्र, वरुण, मित्र, मरुत्, विष्णु, नासत्या, रुद्र, पूषन् तथा अन्य देवों (देवाः ) के साथ हुआ है । सम्भवतः ग्नाः बहुवचन में स्त्री का वाचक है । यह सामान्यतः सभी देवों की स्त्रियों तथा मंत्र में परिगाणित देवों की स्त्रियों का विशेष- रूपक से वाचक प्रतीत होता है । ऋग्वेद का एक अन्य मंत्र सरस्वती को ग्नाः से प्रगाढ रूप से सम्बद्ध करता है। इस मंत्र में सरस्वती से प्रार्थना की गई है कि वह पूजक को शरण तथा परम सुख प्रदान करे : "ग्नाभिरच्छिद्रं शरणं सजोषा दुराधर्ष गृणते शर्म यंसत् (ऋ० ६.४६.७ ) १. ऋग्वैदिक देवियों का त्रिक् : देवियों एवं देवों के त्रिकू का इतिहास बड़ा प्राचीन है । यह त्रिक वैदिक तथा वैदिकेतर दोनों साहित्यों में उपलब्ध होता है तथा इस त्रिक का सम्बन्ध देवियों तथा देवों से है । ऊपर ऋग्वैदिक देवियों के त्रिक् की ओर संकेत किया गया है । वेद में ही देवों का त्रि अग्नि, वायु अथवा इन्द्र तथा सूर्य से बनता है । जिस प्रकार सरस्वती, इला तथा भारती के स्थान भिन्न-भिन्न हैं, उसी प्रकार वैदिक देव -त्रि के स्थान भी भिन्न-भिन्न हैं । यास्काचार्य इस सम्बन्ध में इस प्रकार लिखते हैं : "ति एव देवता इति नैरुक्ताः । अग्निः पृथिवीस्थानः वायुर्वेन्द्रो वान्तरिक्षस्थानः | सूर्यो स्थानः । " ( निरुक्त, ७२ ) वैदिक त्रिक् की भाँति पौराणिक देव त्रिक् ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश से बनता है तथा देवियों का सरस्वती, लक्ष्मी तथा पार्वती या गौरी से बनता है । १६ प्रकृत सन्दर्भ का ध्यान रखते हुए ऋग्वैदिक देवी- त्रि का वर्णन किया जा रहा है । ऋग्वेद में इला दूध तथा घी को बलि का चेतन ( personified) रूप है । इस प्रकार इला उस धन का प्रतिनिधित्व करती है, जो गौ से प्राप्त होता है । वह उर्वरता (fertility) की भी देवी समझी जाती है। ऋग्वेद में बहुत थोड़े से मंत्र हैं, जिन में इला की स्तुति अकेले की गई है, अन्यथा वह सरस्वती एवं भारती के साथ वर्णित है | सरस्वती की भाँति इला एक दुधारु गाय ( milck-cow ) है । ७ इला १७ १४. वही, १०.६५.१३ १५. डोनाल्ड ए० मेकेंजी, इण्डियन मिथ एण्ड लेजेण्ड ( लण्डन, १९१३), पृ० १५१ १६. वही, पृ० १५०१७. ऋ०, ३.५५.१३
SR No.032028
Book TitleSanskrit Sahitya Me Sarasvati Ki Katipay Zankiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuhammad Israil Khan
PublisherCrisent Publishing House
Publication Year1985
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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