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________________ ८७ माँ सरस्वती श्री सरस्वती साधना विभाग केवु सरोवर मनोहर रूप धारे, दोडे रमे मृग शिशु सरना किनारे । शोभी रह्यां परम सुंदर पुष्प केवा, आवी रह्यां मधुकरो रसपान लेवा ||१४|| . वृक्षो उभा गढ समां सरना किनारे, चारुलता हरित सुंदर वृक्ष धारे । नाचे मयुर वन वृक्ष तणी घटामां, केवी ललित मनमोहक शी छटामां ||१५|| • मैत्री सरोवर तणी पशु पंखी धारे, आवे सदाय सघळा सरना किनारे । त्यां खान पान मधुगान सुस्नान धारे, शी कोकीला टहुकती अतिवार वारे ।।१६।। उडे नभे युगल सारस हर्ष धारे, के सरोवर सुहे महिमा वधारे | हंसो तणा कवनथी सर रम्य लागे, निहाळवा पथिकने मन भाव जागे ||१७|| • उग्यो शशी धवल सुंदर शी कलामां, शुं चंद्र मुख निरखे सर आयनामां । रे ! श्याम डाघ निरखी मन वेदनामां, ते छुपतो शरमथी नभ वादळो मां ||१८|| केयूँ तपोवन सुहे गिरी कंदरा ज्यां, योगीजनो मुनिजनो तप सौ करे त्यां । पंखी तणा मधुर गीत सदाय गुंजे, आ रम्य धाम निरखी मन खुब रिझे ।।१९।। . योगीजनो नित जपे पर ब्रह्मने ज्यां, ते तीर्थरूप बनती शुचि ए धरा त्यां । तेनो प्रभाव महिमा धरती बतावे, ते काम क्रोध मद सौ जगमां भुलावे ||२०||
SR No.032027
Book TitleSamyag Gyanopasna Evam Sarasvati Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarshsagarsuri
PublisherDevendrabdhi Prakashan
Publication Year2007
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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