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________________ माँ सरस्वती तीर्थंकर मुख सेवती भगवती, विख्यात जे लोकमां, भंजे संशय लोकना तिमिरने, जैनेश्वरी जोड ना, पूजे दानव-मानवो लळी लळी, पापो तूटे थोकमां, भावे ते श्रुत शारदा चरणमां, होजो सदा वंदना... .(३) ६६ श्री सरस्वती साधना विभाग श्वेतांगी श्वेतवस्त्रा... (छंद : स्रग्धारा (राग) आमूलालोलधूली बहुल) श्वेतांगी श्वेतवस्त्रा धवल कमलमां, ज्ञान मूर्ति प्रतापी, क्षीराब्धि रंक लागे विमल मुख विभा, सौ दिशे भव्य व्यापी ॥ शोभे श्वेतानभे शी ? शरदविधु तजे, गर्व सौन्दर्य केरो, माता वागीश्वरीना चरण युग नमी, हर्ष पामुं अनेरो...॥१॥ वीणाना तार छेडे मृदूमृदू कवने, संगीते मस्त लागे, ग्रंथे शोभा प्रसारी धवल तम भुजा, भाव वैविध्य जागे ।। अज्ञानी ज्ञान पामे मनुज पथ विषे, ज्ञानना पुष्प वेरो, माता वागीश्वरीना चरण युग नमी, हर्ष पामुं अनेरो.... ॥२॥ माला हस्ते प्रकाशे स्फटिक मणि तणी, जापथी दुःख टाळे, इन्द्रादि स्तोत्र गाये परम सुख वरे, ज्ञानना पंथवाळे || आशा सौ पूर्ण थाये उर तमस हरो, व्यापती ज्ञान ल्हेरो, माता वागीश्वरीना चरण युग नमी, हर्ष पामुं अनेरो... ॥३॥ पृथ्वी वायु नभेथी अनल जल तणा, पंच तत्त्वे रचाये, पृथ्वीना मानवी जे तुज भजन करी, देवता रुप थाये ॥ टाळो हे दिव्यमाता ! मुज हृदय वश्यो, मोह अंधार घेरो, माता वागीश्वरीना चरण युग नमी, हर्ष पामुं अनेरो...॥४॥ तारो सर्वत्र गाजे विजय दश दिशे, दिव्य ज्योति प्रकाशी, पापो तापो ज टाळो विमल वदन हे, शारदे ! ज्ञानराशी || दिव्यानंदे जे राचे अहर्निश करे, पाठ जे शास्त्र केरो, माता वागीश्वरीना चरण युग नमी हर्ष पामुं अनेरो... ||५||
SR No.032027
Book TitleSamyag Gyanopasna Evam Sarasvati Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarshsagarsuri
PublisherDevendrabdhi Prakashan
Publication Year2007
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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