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माँ सरस्वती
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श्री सरस्वती साधना विभाग
श्रीपंच-परमेष्ठी स्तुति अर्हन्तो भगवन्त ईन्द्रमहिताः सिद्धाश्च सिद्धिस्थिताः आचार्या जिनशासनोन्नतिकराः पूज्या उपाध्यायकाः ।। श्री सिद्धान्तसुपाठका मुनिवरा रत्नत्रयाराधकाः पंचैते परमेष्ठिनः प्रतिदिनं कुर्वन्तु वो मंगलम् ।।
भाववाहीप्रभु स्तुति हे ! प्रभु ! आनंददाता ज्ञान हम को दीजीये, शीघ्र सारे दुर्गुणों को दूर हम से कीजीये । लीजीये हमको शरण में हम सदाचारी बने, ब्रह्मचारी धर्मरक्षक वीर व्रतधारी बने ।।१।। . सागर दयाना छो तमे, करुणा तणा भंडार छो,
अम पतितोने तारनारा, विश्वना आधार छो । तारा भरोसे जीवन नैया, आज में तरती मूकी ,
लाख लाख वंदन करूं, जिनराज तुज चरणे झुकी ||२|| जेना गुणोना सिंधुना, बे बिंदु पण जाणुं नहिं, पण एक श्रद्धा दिलमहिं के, नाथ समको छे नहिं । जेना सहारे क्रोडो तरीया, मुक्ति मुज निश्चय सहिं, एवा प्रभु अरिहंतने पंचांग भावे हुं नमुं ।।३।।
सबका करो कल्याण, कृपानिधि-सबका... • निरखत तन मन के दुःख मेरे, दुर करो भगवान . कृपानिधिः • महावीर स्वामी करते वंदन , अंतर में तुम ध्यान .. कृपानिधिः • पापों में लयलीन बना हुं, पाया नहिं कुछ ज्ञान .... कृपानिधिः • ज्ञान बिना मैं भव-भव भटकुं, लाओ आतम भान ... कृपानिधि० • तुम भक्ति के पुण्य प्रभाव से, प्रगटो केवलज्ञान .... कृपानिधिः • शिवमंगल सब जीवों का हो, प्रियदर्शन भगवान ... कृपानिधि०