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________________ माँ सरस्वती ५३ श्री सरस्वती साधना विभाग ६) अक्षत पूजा श्लोक भाषे पद्मासनस्थे, जिन मुख निसृते, पद्म हस्ते प्रशस्ते, प्राँ प्री | प्रः पवित्रे, हर हर दुरितं, दुष्टजं दुष्ट चेष्टं । वाचां लाभाय भक्त्या, त्रि दिव युवतिभिः, प्रत्यहं पूज्य पादे, चंडे चंडी कराले , मम मनसि सदा, शारदे देवि तिष्ठ ।।६।। मंत्र : ॐ ह्रीँ श्रीँ सरस्वती देव्यै अक्षतं समर्पयामि स्वाहा । |७) नैवेद्य पूजा श्लोक नम्री भूत क्षितीश, प्रवर मणि मुकुटोद्, घृष्ट पादार विंदे, पद्मास्ये पद्म नेत्रे, गज गति गमने, हंसयाने विमाने । कीर्तिश्री बुद्धि-चक्रे, जय विजय जये, गौरी गंधारी युक्ते, ध्येया ध्येय स्वरूपे, मम मनसि सदा, शारदे देवि तिष्ठ ||७|| मंत्र : ॐ ह्रीँ श्री सरस्वती देव्यै नैवेद्यं समर्पयामि स्वाहा । [८) फल पूजा प्लोक विद्य ज्ज्वाला प्रदिप्ता, प्रवर मणि मयी, मक्ष मालां सुरूपां, रम्या वृत्ति र्धरित्री, दिन मनु सततं, मंत्रकं शारदं च । नागेन्द्र रिन्द्र चन्द्रे, मनुज मुनि जनैः संस्तुता या च देवी, कल्याणं सा च दिव्यं, दिशतु मम सदा, निर्मलं ज्ञान रत्नम् ।।८।। मंत्र : ॐ ह्रीं श्रीं सरस्वती देव्यै फलं समर्पयामि स्वाहा । अंतिम प्रार्थना श्लोक कर बदर सदृश मखिल, भुवतलं यत् प्रसादतः कवयः । पश्यंति सूक्ष्म मतयः, सा जयति सरस्वती देवी ।।९।। (अंत में सरस्वतीजी की आरती उतारें।)
SR No.032027
Book TitleSamyag Gyanopasna Evam Sarasvati Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarshsagarsuri
PublisherDevendrabdhi Prakashan
Publication Year2007
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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