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________________ माँ सरस्वती २८ श्री सम्यग्ज्ञानोपासना विभाग काउसग्ग कैसे करें ? स्तुति बोलने के बाद खमासमणा देकर प्रथम इरियावहिसूत्र का पाठ बोले । इरियावहि-तस्सउतरि अन्नत्थ-१ लोगस्स (चार नवकार) का काउसग्ग करें फिर काउसग्ग पार के प्रगट लोगस्स बोले । लोगस्स बोलकर फिर खमासमणा देवे | इच्छामि खमासमणो ! वंदिउं जावणिज्जाए निसीहिआए मत्थएण वंदामि । इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ! श्री सम्यगज्ञान आराधनार्थे काउसग्ग करूं ? इच्छं... श्री सम्यग्ज्ञान आराधनार्थे करेमि काउसग्गं... वंदनवत्ति आए, पूअणवत्तिआए सक्कारवत्तिआए सम्माणवत्तिआए बोहिलामवत्तिआए निरुवसगवत्तिआए सद्धा मेहाए घिईए धारणाए अणुप्पेहाए वड्डमाणीए ठामि काउस्सग्गं । अन्नत्थ उससिएणं, नीससिएणं, खासिएणं, छीएणं, जंभाइएणं, उड्डणं, वायनिसग्गेणं, भमलिए, पित्तमुच्छाए, सुहुमेहिं अंग संचालेहिं, सुहमेहिं खेल संचालेहिं, सुहुमेहीं दिट्ठि संचालेहिं, एवमाइएहिं आगारेहिं, अभग्गो अविराहिओ, हुज्ज मे काउस्सग्गो जाव अरिहंताणं भगवंताणं नमुक्कारेणं न पारेमि ताव कायं ठाणेणं मोणेणं झाणेणं अप्पाणं वोसिरामि [५ या ५१ लोगस्स का काउसग्ग करें (अथवा लोगस्स न आये तो - २० या २०४ नवकार का काउसग्ग करे ) ।] काउसग्ग पूर्ण होने के बाद हाथ जोड़ के सिर्फ 'नमो अरिहंताणं' कहकर फिर प्रगट लोगस्स कहना - लोगस्स उज्जो अगरे, धम्मतित्थयरे जिणे । अरिहंते कित्तइस्सं, चउवीसंपि केवली ॥१॥ उसभमजिअं च वंदे, संभवमभिणंदणं च सुमइं च । पउमप्पहं सुपासं, जिणं च चंदप्पहं वंदे ॥२॥ सुविहिं च पुप्फदंतं, सीअल - सिज्जंस वासुपुज्जं च । विमलमणतं च जिणं, धम्मं संतिं च वंदामि ॥३॥ कुंथुं अरं च मल्लिं, वंदे मुनिसुव्वयं नमि जिणं च । वंदामि रिद्वनेमिं, पासं तह वद्धमाणं च ॥४॥
SR No.032027
Book TitleSamyag Gyanopasna Evam Sarasvati Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarshsagarsuri
PublisherDevendrabdhi Prakashan
Publication Year2007
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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