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________________ माँ सरस्वती श्री सम्यग्ज्ञानोपासना विभाग क्षेत्रफल भी अधिक । उसी प्रकार ज्ञान बढाने के लिए वाचन का विस्तार भी बढाना होगा । आजकल की अमेरिकी संस्कृति 'युज ॲण्ड थ्रो' फेकू संस्कृति हमें नहीं अपनानी है । फेकू साहित्य मे से केवल मनोरंजन प्राप्त हो सकता / है, सच्चा ज्ञान नहीं । हर घर में सुसंस्कार-वर्धक पुस्तकालय होना चाहिए और विद्यार्थी उसका सदस्य बनना चाहिए । २५ ३ . मात्र लेखन वाचन तक ही पढने की प्रवृत्ति सीमित न की जाय । शरीर और मस्तक दोनों ही क्रियाशील बनें, तो ही ग्रहण शक्ति बढ़ सकती है । नोट्स, गाईड में या पुस्तक में देखकर लिखना यह व्यर्थ क्रिया है । गृहपाठ में देने योग्य कार्य, जिससे ग्रहणशीलता बढ सकती है१) सीधी लाईन खिंचना २) सुंदर अक्षर में सुवाक्य लिखना ३) श्लोक की हस्तलिखित प्रत बनाना ४) रास्ते में आनेवाली दस दुकानों के बोर्ड की भाषाशुद्धि तपासना ५) दस दुकानों में जाकर विविध वस्तुओं के भाव पूछना और उसकी तुलना करना ६) गाव में आए हुए मंदिरों की जानकारी तथा इतिहास लिखना ७) गाव के चारों सीमाओं पर क्या क्या आया है, वह जानना तथा उसकी नोंद करना ८) गाव का विस्तार - मापना ९) रोज के कमालकिमान तापमान की जानकारी प्राप्त करना तथा उसकी नोंद करना १०) गाव में आये हुए झोपडे, कौनसे क्षेत्र में, उसमे की लोकसंख्या इ. बारे में सर्वेक्षण करना ११) गाव के नाकाबंदी की योजना बनायें १२) गाव के लोगों का सर्वेक्षण करना तथा शिक्षण, व्यवसाय, साक्षर निरक्षर, स्त्री-पुरुष, बालक आदि में वर्गीकरण करना १३) श्रमदान तथा सेवाकार्य के प्रकल्पों की योजना बनाना तथा स्तर अनुसार विद्यार्थ्यो को कार्य सोपना वगेरे...। ४. ध्यान करने से एकाग्रता तथा आंतर प्रेरणा प्राप्त होती है। ध्यान यह जीवन का अंग बने, ऐसा प्रयत्न घर तथा विद्यालय में होना चाहिए। आंतर प्रेरणा से कितनी ही कठीण बातें सहज-सरल बन जाती है। इसके लिये परमात्मा प्रति अपार विश्वास बडोंका मार्गदर्शन तथा स्वयं का प्रयत्न चाहिए । • क्लास रुम हो अथवा घर, विद्यार्थी को पोपट, मजूर या तो यन्त्र मानव बनाने के बदले जीता-जागता, उत्साहपूर्ण, कल्पनाशील, उछलताकूदता मनुष्य बनाने से ही वह अधिक अच्छी पढाई कर सकता है ।
SR No.032027
Book TitleSamyag Gyanopasna Evam Sarasvati Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarshsagarsuri
PublisherDevendrabdhi Prakashan
Publication Year2007
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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