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माँ सरस्वती
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श्री सम्यग्ज्ञानोपासना विभाग
करना ।
३) बहुमान आचार : ज्ञानी तथा ज्ञान पर अंतर से प्रेम- बहुमान करना । ४) उपधान आचार : सूत्रादि की पढाई करने से पहले सविशेष तप-जप
करना ।
६) व्यंजन आचार
७) अर्थ आचार ८) तदुभय आचार
५) अनिन्हव आचार : विद्या दाता गुरुदेव / शिक्षक का नाम छुपाना नहि । उनकी निंदा-अपमान नहिं करना ।
: सूत्रादि के १-१ अक्षर शुद्ध उच्चार पूर्वक पढना । : सूत्रादि के अर्थ - भावार्थ- गूढार्थ शुद्ध पढना ।
: सूत्र + अर्थ दोनो के गुढार्थ को शुद्धता पूर्वक एवं शुद्ध भावसे हृदयस्य एवं आत्मस्थ करना ।
इन आचारों का पालन करने से पापों का नाश होता है । और आचार का पालन न करनेसे भयंकर दोष लगता है, जिसे अतिचार कहते है । अतिचार से बचने हेतु आचारों का पालन अवश्य करे, फिर तो केवलज्ञान नजदीक है ।