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वसर पर और भी अनेक विद्वज्जन उपस्थित होकर भिन्न २ विषयोंपर अनेक रोचक और सुनने योग्य व्याख्यान सुनावेंगे और शंका समाधानादि करके अज्ञानांधकार का नाश करेंगे ।
अतः सर्व साधारण सज्जन महानुभावोंसे सविनय निवेदन है कि इस उत्सव पर अवश्य मेत्र पधारकर इस महोत्सवको शोभा बढ़ावें ।
कार्यक्रम |
प्रातःकाल
सायंकाल
ता० २८ जून सन् १९१२ शुक्रवार - रथयात्रा नगर कीर्तन, भजन व उपदेश, 9 बजे से ११ बजे तक । 9 बजे से १० बजेतक । ता० २७ जून सन् १९१२ शनिवार - भजन व उपदेश, भजन व उपदेश १० बजे से १ बजे तक । 9 बजे से १० बजेतक | ता० ३० जून सन् १९१२ रविवार--शंका समाधान, भजन व उपदेश, भजन व उपदेश १० बजेसे १ बजे तक । 9 बजे से १० बजे तक । ता०९ जुलाई सन् १९९२ सोमवार--शंका समाधान, भजन व उपदेश, भजन व उपदेश १० बजे से १ बजे तक । 9 बजे से १० बजे तक । श्रीजैन तत्त्व प्रकाशिनी सभाके शंका समाधानके नियम । ( १ ) शंका समाधान प्राइवेट व पत्रलिक दो प्रकार से होगा । (२) माइवेट शंका समाधान जिज्ञासुओंके अर्थ मन्त्री की आज्ञानुसार उचित समय पर किया जावेगा । ( ३ ) पवलिक शंका समाधानके अर्थ लिखित प्रश्नपत्र म थमवार तारीख २९ जून व द्वितीयवार तारीख ३० जूनको प्रातःकाल १० बजे
से १ बजे तक मन्त्रीको देदेना चाहिये । ( ४ ) विद्वानोंके कहे हुए व्यारूपान और दिगम्बर जैनऋषि प्रणीत ग्रन्थों में तत्त्वविषयक ही शंकायें ली जावेंगी । (५) एक दिन में तीन से अधिक प्रश्नपत्र नहीं लिये जावेंगे जिनमें से एक धर्म का एक ही प्रश्नपत्र लिया जावेगा परन्तु हां यदि ग्रन्त समय तक भिन्न २ धर्मावलम्बियों के तीन प्रश्नपत्र न प्राप्त हों तो एक धर्मके अधिक से अधिक दो प्रश्नपत्र लिये जा सकेंगे । ( ६ ) एक प्रश्नपत्र में तीन से अधिक प्रश्न व एक प्रश्न में एक से अधिक प्रश्न न होना चाहिये । ( 9 ) प्रथम दिवसके प्रश्नकर्त्ता महाशयों को दूसरे दिवस नवीन प्रश्न करनेका अधिकार न होगा । यदि उनको अपने प्रश्नों के उत्तरोंसे सन्तोष न हो तो वे उसी दिन ५ बजेके भी -