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वन्दे ज़िनवरम् +.
मूर्तिपूजन पर व्याख्यान । सर्व साधारण साजन महोदयोंकोसेवा निवेदन है कि प्राण वादन लाई सन् १९१२ ईस्वी शनिवारको बन्ध्यागो, ६ बजेसे स्थान गोदी मशियांमें श्रीमान् कुंवर दिग्विजयसिंहजीका "मूर्तिपूजन, पर व्याख्यान होगा। प्रतः सविनय प्रार्थना है कि भाप सर्व सज्जन महोदय उक्त समय पर सबश्यमेव पधार कर हम सबको परम् अनुगहीत करिये ॥ ___ नोट-हमने भार्यसमाजियों की शाखाका चलेज दे रक्ता है। यदि उ. महोंने हमार मी व्याख्यान समय शाखा करना स्वीकार करलिया तो हम अपने व्यायामती बन्द बरसेगाखारनेको ले जायगे।
पीसलाल अजमेरा मन्त्री श्रीजैनकुमारसा अमेर।
सम्ध्याको नियत समय पर श्रीमान् स्याद्वादवारिधिवादिगजकेसरी प. विडत गोपालदासजी वरैयाक समापतित्व सभाकामाप्रारम्भ हुमा । न्या. पाचर्य पुस्सिव माणिकचन्दजी मङ्गलाचरणस्वरूप एक संक्षिप्त या दो. नेके पक्षावर साहवर्षध्वनिके मध्य व्याख्यान देने को सड़े हुो। सापने बड़ी योग्यता और सिद्धत्ताने अनेक युछियों और प्रमाखों द्वारा मूर्ति पूजन सिद्ध किया ।
"कंबर माहवका व्याख्यान हो रहा था कि सिकन्दरावाद गरुकल के अंध्यापक परिडत यावत जी शास्त्रो पार्यभमाजियों को बड़ी भीड सहित सभामें पधारे और मापने माते हो निम्न पत्र सभापतिजीको दिया।
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श्रीमती महानुभावाः ॥
समुचित शिष्टाचारानन्तरम्वयं संप्रति श्रीमतः परिषदि शास्त्रार्थ चिकीर्षया समुत्सुकी भूत्वा समा. याताः तदाशां कुर्वासा वयं कथयामः श्रीमद्भिः शाखाः कर्तव्यः । देवमा. पायाँ शाखा स्वादचया भाषायामिति इच्छानुसारख माजापयिष्यन्तीति-- माश पुस्विरया श्रीमानुत्तरपतुतिमार्थयामि।
निवेदको-यजदत्त शम्मी शास्त्री प्राधसवका